सोमवार से संसद में मानसून सत्र की शुरुआत हो चुकी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. इस बीच मानसून सत्र के दौरान एक बार फिर से सरना धर्म कोड का मामला गरमाता नजर आ रहा है. दरअसल, लोहदरगा से निर्वाचित सांसद सुखदेव भगत सदन के बाहर एक तख्ता लिए नजर आए, जिसमें उन्होंने सरना धर्म कोड लागू किए जाने की मांग की है. बता दें कि लोहरदगा से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ही सुखदेव भगत ने कहा था कि वह बुलंद आवाज के साथ इस मांग को उठाएंगे. इतना ही नहीं शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सांसद ने मां सरना के नाम से शपथ ली थी, जिसकी खूब चर्चा भी हुई थी. लोहरदगा सांसद यह मांग कर रहे हैं कि सरना कोड को अविलंब लागू कर दिया जाए.
क्या है सरना कोड?
आदिवासी समुदाय पिछले लंबे समय से सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. दरअसल आदिवासी समुदाय की मांग है कि उनका मूल धर्म सरना है और इसे मान्यता दी जाए. बता दें कि झारखंड, ओडिशा, बंगाल, बिहार और असम के लोग सरना धर्म कोड को लागू किए जाने की मांग सालों से कर रहे हैं. देश की जनगणना के दौरान सभी धर्मों का अलग से जिक्र किया गया था. उसी तरह सरना धर्म का भी अलग से जिक्र करने की मांग पांच राज्यों के आदिवासी कर रहे हैं. बता दें कि देश के आदिवासी समुदाय भी अलग-अलग धर्मों का पालन करते हैं, जिसमें से एक हिस्सा हिंदू धर्म को नहीं मानता है. ये हिस्सा सरना धर्म को मानता है. ये लोग मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करते बल्कि प्रकृति की पूजा करते हैं. सिर्फ झारखंड में ही इनकी आबादी करीब 40 लाख है.
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झारखंड विधानसभा में हो चुका है पारित
बता दें कि सरना धर्म कोड को झारखंड विधानसभा में 11 नवंबर 2020 को पारित किया जा चुका है. जिसके बाद इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया था. जिस पर अब तक केंद्र की तरफ से मुहर नहीं लगी है.
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HIGHLIGHTS
- लोहरदगा सांसद ने उठाई सरना कोड लागू करने की मांग
- कहा- अविलंब सरना कोड कर दिया जाए लागू
- जानें क्या है सरना धर्म कोड?
Source : News State Bihar Jharkhand