जल, जंगल और जमीन. झारखंड की पहचान, लेकिन आज प्रदेश में प्रकृति की इन्हीं संपदाओं की लूट खसोट बदस्तूर हो रही है. भोले-भाले आदिवासियों को ठग कर उनकी जमीन हथियाना तो मानो आम बात हो गई है. जमीन माफिया के हौसले झारखंड में किस कदर बुलंद है. इसका उदाहरण देने की भी जरूरत नहीं है. अब माफियाओं ने राजधानी रांची में भी जमीन की लूट खसोट शुरू कर दी है. दरअसल, रांची जिले के बुंडू थाना इलाके के तुंजू गांव के पास रांची टाटा रोड एनएच के किनारे एक जमीन पर बाउंड्री वॉल कर दरवाजा लगाया गया था. जिसे आदिवासी जन परिषद के बैनर तले गांव के सैकड़ों लोगों ने तोड़ दिया और बाउंड्री वॉल को भी ढहा दिया.
फर्जी कागजात बनाकर जमीन की हो रही बिक्री
यहां ग्रामीणों का आरोप है कि दो एकड़ जमीन सहदेव सिंह मुंडा के नाम से है, जबकि कुछ बिचौलियों ने फर्जी कागजात बना कर जमीन की बिक्री कर दी. आनन फानन में बाउंड्री बनाकर जमीन को घेर दिया. दरअसल, इस जमीन को लेकर पहले भी विवाद हुआ था, लेकिन 1997 में बुंडू अंचलाधिकारी ने सहदेव मुंडा के पक्ष में फैसला सुनाया था. हालांकि अब सहदेव सिंह मुंडा के घर में कोई पुरुष नहीं बचा है. सहदेव के साथ उनके तीनों बेटों की भी मौत हो गई है. ऐसे में आरोप है कि इसका फायदा उठाते हुए बिचौलियों ने जमीन को फर्जी कागजों के बदौलत बेच दिया.
आदिवासी ग्रामीण जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर उठे सवाल
जिसके बाद आदिवासियों ने जिसे जमीन बेची, उसे कागजात दिखाने की मांग भी की. इसके लिए ग्रामीणों की सभा भी बुलाई गई, लेकिन कागज दिखाने कोई नहीं आया. जिसके बाद ग्रामीणों ने जमीन पर बने बाउंड्री और दरवाजे को तोड़ दिया. एक तरफ आदिवासी ग्रामीण जमीन पर अवैध कब्जे की बात कह रहे हैं तो वहीं जिन्हें जमीन बेची गई है. बहरहाल, इस मामले में जरूरत है कि दोनों ही पक्ष आमने-सामने आकर बात करें और कानूनी मदद के साथ विवाद को खत्म करें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.
HIGHLIGHTS
- रांची में जमीन माफिया के हौसले बुलंद
- फर्जी कागजों के आधार पर खरीद-फरोख्त
- अवैध कब्जे को लेकर उठे सवाल
Source : News State Bihar Jharkhand