लातेहार कोल माइंस ग्रामीणों के लिए बना 'काल', प्रबंधन की मनमानी जारी

लातेहार जिले में कोल माइंस ग्रामीणों के लिए काल बन गया है. कोयले की ढुलाई शुरू होने से कई गांव के ग्रामीणों के जीवन मे भयंकर त्रासदी का माहौल कायम है.

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Vineeta Kumari
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लातेहार कोल माइंस ग्रामीणों के लिए बना 'काल'( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

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लातेहार जिले में कोल माइंस ग्रामीणों के लिए काल बन गया है. कोयले की ढुलाई शुरू होने से कई गांव के ग्रामीणों के जीवन मे भयंकर त्रासदी का माहौल कायम है. दरअसल, लातेहार ज़िले के सदर प्रखंड क्षेत्र में डीवीसी द्वारा संचालित तुबेद कोल माइंस लोगों के लिए काल बन गया है. तुबेद कोयला खान दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) को आवंटित की गई है. यहां लगभग 1250 एकड़ भूमि में कोयला खनन का लक्ष्य रखा गया है. प्रशासनिक मिली भगत से फ़िलहाल तमाम नियमों की अनदेखी कर यहां खनन का कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन अबतक डीवीसी के द्वारा गांव में ना अस्पताल, ना स्कूल और ना ही कोई सुविधा बहाल की गई है. इस बीच सबसे अधिक परेशानी मुरुप गांव के ग्रामीणों को हो रही है.

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लातेहार कोल माइंस ग्रामीणों के लिए बना 'काल

चूंकि कोल प्रशासन और कोयला ढुलाई कंपनी के द्वारा घनी आबादी के बीचों बीच से कोयले की ढुलाई दिनरात हाइवा के माध्यम से की जा रही है. जिससे संबंधित गांव के लोगों में भय का माहौल बना हुआ है. अभी तक कोल प्रशासन के द्वारा कोयला ढुलाई के लिए रास्ता नहीं बनाया गया है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मुरुप गांव के ग्रामीण तुबेद कोल प्रशासन को रास्ता बनाने के लिए अपनी जमीन देने से इंकार कर चुके हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर जमीन देते हैं. उसके बाद भी यह रास्ता घूम फिरकर गांव के ही मुख्य मार्ग पर आकर मिल जाता है. ऐसे में आने वाले समय में ग्रामीणों को जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है. ग्रामीणों ने कहा हाल के दिनों में लगभग 250 से अधिक हाइवा से कोयला ढुलाई किया जा रहा है. 

प्रबंधन की मनमानी जारी

मुरुप गांव के मुख्य मार्ग से कोयला ढुलाई होने से कोयले के धूलकण से जहां एक तरह ग्रामीण परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ स्कूली बच्चों को रास्ते से गुजरने और घर में पढ़ाई करने में एक बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है. ग्रामीणों के काफी विरोध और प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी उन्हें इस परेशानी से निज़ात नहीं मिल रहा है. लिहाज़ा अक्सर कोयला ढुलाई कर रहे वाहन चालकों और ग्रामीणों के बीच कहा सुनी होती रहती है और कभी-कभी यह विवाद बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.

ग्रामीणों से जमीन के लिए जोर जबरदस्ती

डीवीसी की मनमानी का आलम यह है कि कोयला ढुलाई के लिए गांव के ही स्कूल के समीप से रास्ता बनाया जा रहा है. ऐसे में आने वाले समय में इस स्कूल में अध्ययनरत छात्रों का भविष्य क्या होगा? इसका अंदाजा आप सहज ही लगा सकते हैं. गांव के एक ग्रामीण ने कहा कि तुबेद कोल माइंस पूरी तरह से गलत ढंग से संचालित किया जा रहा है. इनके पास ना तो माइंस एक्ट है और ना ही मेगज़ीन की सुरक्षा का कोई प्रबंधन है. अगर मैगजीन गलत आदमी के हाथ लग जाये तो एक बड़ी तबाही हो सकती है. मुरुप गांव के ग्रामीणों ने कोयला ढुलाई के लिए जमीन देने से साफ इंकार कर दिया है. साथ ही प्रबंधन को चेतावनी दी है. अगर वह कोयला ढुलाई के लिए रास्ता बनाने के लिए ग्रामीणों से जमीन लेने के लिए ज़ोर जबरदस्ती करती है, तो विरोध का सामना करना पड़ेगा.

प्रशासन के खिलाफ घेराबंदी करेंगे

फिलहाल, जिस तरह से दिन रात कोयले की ढुलाई की जा रही है. उससे नदी और तालाब का पानी दूषित हो रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ खेतों में लगी फसल, सब्जियों सब बर्बाद हो रही है. जबकि लातेहार वन प्रमंडल के द्वारा सड़क किनारे लगाए गए हजारों पौधे बर्बाद होने के कगार पर है. इतना सबकुछ बर्बाद होने की जानकारी होने के बाद भी कोल प्रशासन के सामने जिला प्रशासन नतमस्तक बना हुआ है. इधर आजसू के जिलाध्यक्ष अमित पांडेय ने कोल प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर तुबेद कोल प्रशासन ग्रामीणों की मांग और अपनी कार्य प्रणाली में सुधार नहीं करती तो जल्द ही एक बड़ा आंदोलन का सामना कोल प्रशासन को करना होगा. उन्होंने कहा आजसू के कार्यकर्ता ग्रामीणों के साथ गोलबंद होकर कोल प्रशासन के खिलाफ घेराबंदी करेंगे.

HIGHLIGHTS

  • लातेहार कोल माइंस ग्रामीणों के लिए बना 'काल'
  • ग्रामीणों से जमीन के लिए जोर जबरदस्ती
  • प्रशासन के खिलाफ घेराबंदी करेंगे

Source : News State Bihar Jharkhand

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