झारखंड के तमाम आदिवासी नेता UCC का विरोध कर रहे हैं. इस बीच JMM विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने एक बार फिर अपनी ही सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कॉमन सिविल कोड पर मुख्यमंत्री की चुप्पी पर सवाल खड़े किए. इस दौरान उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भी घेरा. जहां प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से UCC लाया जा रहा है. हमारे मुख्यमंत्री ने सरना धर्म कोड की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने इस पर कोई पहल नहीं की और अब UCC लाने की तैयारी हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर UCC लागू हुआ तो सरना धर्म कोड खत्म हो जाएगा. ये जानते हुए भी आदिवासी मुख्यमंत्री ने एक शब्द तक नहीं बोला है. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी चुप्पी साध कर बैठे हैं.
UCC को लेकर सीएम हेमंत सोरेन का घेराव
उन्होंने कहा कि दोनों लोगों को इस पर अपना पक्ष रख कर विरोध के सूर बुलंद करने की जरूरत है. इस मामले पर कांग्रेस ने विरोध दर्ज किया है. लोबिन हेम्ब्रम ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और बाबूलाल मरांडी से इस UCC मामले में विरोध दर्ज करने की मांग की है. अगर इस मामले में दोनों लोग विरोध दर्ज नहीं करते तो इससे साफ हो जाएगा कि दोनों लोग आदिवासी विरोधी हैं. अब इनका विरोध झारखंड की सड़कों पर दिखने लगेगा.
UCC के विरोध में क्यों हैं आदिवासी?
- UCC लागू होने से सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होगा.
- आदिवासियों को डर है कि इससे उनकी परंपराओं को खत्म कर दिया जाएगा.
- अलग-अलग आदिवासी समुदायों में अलग-अलग परंपराएं हैं.
- जैसे आदिवासी समुदाय में पुरुष कई महिलाओं से शादी कर सकते हैं.
- कहीं-कहीं एक महिला के कई पुरुषों से शादी का भी रिवाज है.
- कुछ आदिवासी समुदायों में मातृसत्तात्मक सिस्टम है.
- मातृसत्तात्मक का अर्थ है बेटी को संपत्ति का वारिस बनाना.
- आदिवासी समाज की कई परंपराएं है जो UCC आने से खत्म हो सकती है.
- यही वजह है कि आदिवासी समुदाय UCC का विरोध कर रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- लोबिन हेम्ब्रम का अपनी ही सरकार पर निशाना
- UCC को लेकर सीएम हेमंत सोरेन का घेराव
- 'आदिवासी मुख्यमंत्री ने एक शब्द तक नहीं बोला'
- पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी पर भी साधा निशाना
Source : News State Bihar Jharkhand