पूजा की थाली से प्रेम के इज़हार तक फूलों की मांग रहती है, लेकिन अपने सपनों को पसीने से सींचने वाले किसान आज बाज़ार नहीं मिलने की वजह से धाराशाही हो रहे हैं. वैलेंटाइन डे को लेकर इन दिनों युवाओं में फूलों को लेकर जहां एक ओर रूझान पूरी तरह से बढ़ा रहता है. वहीं, दूसरी ओर कुडू प्रखंड क्षेत्र में जरबेरा फूल की खेती करने वाली इन महिलाओं के सामने बाज़ार को लेकर समस्याएं उत्पन्न हो गई है. बाजार नहीं होने की वजह से इनके खेत में ही इनके फूल दम तोड़ रही है. इन महिलाओं का कहना है कि जिला उद्यान विभाग की ओर से फ्लोरीकल्चर की ओर इन लोगों ने कदम तो बढ़ाया, लेकिन इनके सामने बाज़ार की समस्या उत्पन्न हो गई है.
किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी
अब इन महिलाओं को बाजार से सहयोग की उम्मीद है ताकि हजारों की पूंजी और लाखों रुपए का नुकसान इन्हें ना हो. महिलाएं अपने खेतों में इन फूलों की मुस्कुराहट से खिल उठते हैं, लेकिन इसी जमीन पर इन्हें मुरझाते हुए देख इनकी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है. किसानों की उम्मीदों पर अब प्यार के इस मौसम में भी पानी फेर रहा है.
लोहरदगा जिला के विभिन्न क्षेत्रों में फूलों की खेती व्यापक रूप से की जा रही है, लेकिन किसानों को प्रोत्साहन के साथ-साथ बाज़ार नहीं मिलने की वज़ह से अब ये उदास हो रहे हैं. लोहरदगा डीसी के द्वारा ऐसे किसानों को बाज़ार और सहयोग देने का रटा रटाया जवाब दिया जा रहा है.
दम तोड़ती उम्मीदों की पंख
लोहरदगा जिला के किसान जिला को एक पहचान देने की दिशा में कार्य कर रहे हैं, लेकिन परिस्थितियां ऐसी उत्पन्न हो रही है कि पहचान के बजाय किसान दुबारा इस ओर आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं. अब देखना है कि दम तोड़ती उम्मीदों को पंख कहां से मिलती है और इन किसानों को बाज़ार और अन्य सुविधाएं कब तक प्राप्त हो पाती है, या फिर ये ऐसी ही परिस्थितियों के साथ निराश रहने को विवश ना हो जाए.
HIGHLIGHTS
- दम तोड़ती किसानों की उम्मीदें
- प्यार के महीने में भी किसान निराश
- फूल उत्पादक किसान बाजार नहीं मिलने से परेशान
Source : News State Bihar Jharkhand