धनबाद में मां खेलाचंडी मेले का आगाज, पहाड़पुर गांव में आस्था का सैलाब
झारखंड की संस्कृति और परंपराएं कई मायनों में खास है. इस राज्य का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. जितनी प्राचीन संस्कृति उतनी ही खास मान्यताएं.कुछ ऐसी ही मान्यताओं में शुमार है मां खेलाचंडी महोत्सव.
झारखंड की संस्कृति और परंपराएं कई मायनों में खास है. इस राज्य का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. जितनी प्राचीन संस्कृति उतनी ही खास मान्यताएं.कुछ ऐसी ही मान्यताओं में शुमार है मां खेलाचंडी महोत्सव. धनबाद के पहाड़पुर गांव में मां खेलाचंडी मेले का आगाज हो गया है. बांग्ला पंचांग के अनुसार माघ महीने के तीसरे दिन से शुरू होने वाले इस मेले में मां खेलाचंडी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि जो भक्त शारीरिक कष्ट से गुज़र रहा हो वो अगर सच्ची मन से मां खेलाचंडी की अराधना करे तो सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
मां खेलाचंडी की पूजा विधि भी बेहद खास है. क्योंकि इसमें पूजा के लिए मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. भक्त तालाब में स्नान कर वहां की मिट्टी लेकर आते हैं और उस मिट्टी को पास में रखकर पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं. ऐसा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है. पूजा-पाठ के अलावा यहां आयोजित मेला भी भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है. अलग-अलग पंचायतों से बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं ताकि मां खेलाचंडी का आशीर्वाद ले सकें और मेले का भी लुत्फ उठा सकें. खास बात ये कि इस गांव में आज से नहीं बल्कि सैंकड़ों साल पहले से ये प्रथा चलती आ रही है. जिसे लोग आज तक निभा रहे हैं. हर साल ये मेला लगता है जिसमें आस्था का सैलाब उमड़ता है.