गुमला जिला प्रशासन और कृषि विभाग इस साल जिले में बड़े पैमाने पर मरुआ की खेती की योजना बना रही है. मरुआ की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी और बाजार में अच्छी कीमत मिलने की वजह से ये योजना बनाई जा रही है. जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सके. जिसको लेकर कृषि विभाग के साथ ही साथ जिला प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की जा रही है. गुमला के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग आज भी परंपरागत खेती करते हैं. यहां के लोग मानसून के समय धान की खेती करते हैं. जिससे लोगों का दो वक्त का भोजन तो चल जाता है, लेकिन लंबे समय बाद भी किसानों की तकदीर और तस्वीर नहीं बदली.
बड़े पैमाने पर खेती की योजना
इसी को गंभीरता से लेते हुए जिला के कृषि विभाग की ओर से राज्य सरकार को जिले में मरुआ की खेती की अपार संभावनाओं को देखते हुए एक प्रस्ताव भेजा गया. जिसे राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है. जिसके बाद जिला कृषि विभाग की ओर से इस साल एक हजार एकड़ भूमि में मरुआ की खेती की योजना पर काम चल रहा है. जिससे करीब 300 परिवारों को आर्थिक लाभ मिलने की पूरी संभावना है. जिला कृषि पदाधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार सिन्हा के मुताबिक गुमला की भूमि पूरी तरह से मरुआ की खेती के लिए बेहतर है. ऐसे में उन तमाम किसानों का चयन किया जा चुका है. जिन्होंने मरुआ की खेती करने की इच्छा जतायी है.
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जिला प्रशासन और कृषि विभाग की योजना
किसानों के उत्पादित मरुआ को जिला प्रशासन की ओर से बाजार उपलब्ध कराया जाएगा. साथ ही किसानों को मरुआ के बीज सहित तमाम तकनीकी सहायता भी प्रदान की जाएगी. ताकि किसानों की उपज बेहतर से बेहतर हो सके. जिले के उपायुक्त सुशांत गौरव ने मरुआ की खेती को लेकर जिला के कृषि विभाग को हर संभव सहायता देने की बात कही जा रही है. डीसी सुशांत गोरा ने कहा कि अभी वर्तमान समय में मरुआ की लड्डू भुंजिया और उसका आटा जिले के साथ ही राज्य के विभिन्न जिलों में और देश स्तर पर काफी सराहना की गई है. जिससे स्पष्ट होता है कि आर्थिक स्थिति को काफी बेहतर बनाया जा सकता है. वहीं, ग्रामीण महिलाओं का भी यही मानना है कि अगर सरकारी सहायता मिलेगी, तो काफी लोग मरुआ की खेती के लिए आगे आएंगी.
किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की पहल
देश की आजादी के बाद से ही किसानों को कई तरह के शब्दों के माध्यम से सम्मानित करने का काम किया गया है. कहीं उन्हें अन्नदाता कहा जाता है तो कहीं उन्हें देश का कर्णधार कहा जाता है, लेकिन आजतक किसानों की तस्वीर सही रूप से नहीं बदल पाई है. आज भी अधिकांश किसानों की स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है. क्योंकि परंपरागत तरीके से खेती करके वो देश के लोगों की भूख तो मिटा देते हैं, लेकिन अपने हालात को बेहतर नहीं कर पाते. ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से किया जा रहा ये प्रयास निश्चित रूप से किसानों की तकदीर और तस्वीर बदल सकता है. बस जरूरत है कि जिस उत्साह के साथ प्रशासन इसकी शुरुआती दौर में काम कर रहा है. उसे अंतिम तक बनाए रखा जाए.
रिपोर्ट : सुशील कुमार सिंह
HIGHLIGHTS
- बड़े पैमाने पर मरुआ की खेती की योजना
- जिला प्रशासन और कृषि विभाग की योजना
- किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की पहल
- एक हजार एकड़ भूमि पर मरुआ खेती की पूरी योजना
Source : News State Bihar Jharkhand