झारखंड के निर्माण के साथ ही यहां की जनता को घोटालों और भ्रष्टाचार का दंश झेलना पड़ रहा है. आए दिन ED और CBI की तफ्तीश के बाद भी भ्रष्टाचारियों के हौसले हैं कि बुलंद ही होते जा रहे हैं. इस बार घोटाला तालाब निर्माण के टेंडर में हो रहा है. जहां करोड़ों की राशि के गबन की साजिश की जा रही है. लातेहार के नगर पंचायत में कुल 15 वार्ड है. इसमें से डुरूवा वार्ड नंबर 4 में लगभग एक करोड़ 31 लाख की लागत से एक तालाब का निर्माण कराया जा रहा है. अब ये योजना शुरू होते ही इसपर विवाद शुरू होने लगा है.
अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप
नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष नवीन कुमार सिन्हा ने सीधे तौर पर नगर पंचायत के कार्यपालक अभियंता शेखर कुमार और सिटी मैनेजर जया लक्ष्मी भगत पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. नवीन कुमार सिन्हा का कहना है कि इतनी बड़ी राशि से शहर में एक तालाब ही नहीं बल्कि कई और भी काम हो सकते थे, लेकिन इतने बड़े तालाब का टेंडर गुपचुप तरीके से निकाला गया है किसी को कोई जानकारी नहीं मिली है. इन आरोपों की जांच के लिए जब न्यूज़ स्टेट की टीम ने नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी शेखर कुमार से टेंडर के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि नगर पंचायत में जितने भी टेंडर होते हैं वो ऑनलाइन होते हैं और उनका विज्ञापन प्रसारित किया जाता है. उन्होंने दावा किया कि बोर्ड की सहमति से ये टेंडर हुआ है.
सरकारी पैसों की चपत
अब अधिकारी के दावे अपनी तरफ, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर टेंडर घोटाला होता कैसे है? दरअसल भ्रष्टाचार का पहला कदम डीपीआर के दौरान होता है. किसी भी सरकारी निर्माण की पहली कवायद डीपीआर होती है और डीपीआर तैयार करने में ही अधिकारी बड़ा खेल करते हैं. इसके लिए डीपीआर में ओवर स्टीमेट का खेल होता है. ओवर स्टीमेट यानी निर्माण में जितनी लागत लगेगी सरकार को उससे कई गुना ज्यादा राशि बताना. इसके बाद अधिकारी अपने फायदे के लिए 10 प्रतिशत से कम रेट में टेंडर मैनेज करते हैं. जिससे की सरकार को भी राजस्व का काफी नुकसान होता है. अब भ्रष्टाचार का दूसरा कदम, जहां डीपीआर की कॉपी पहले मनचाहे ठेका कंपनी को सुपर्द कर दी जाती है और भ्रष्टाचार का तीसरा और आखिरी कदम होता है सरकार की आंखों में धूल झोंकना. दरअसल अधिकारी टेंडर के नाम पर अपना मुनाफा देखते हैं. कहने को तो प्रक्रिया सरकारी होती है पर मेहरबानी सरकारी बाबुंओं की होती है.
पीने को पानी तक नहीं
भ्रष्टाचार के 3 कदम तो आपने जान लिए. जब सवा करोड़ की तालाब योजना बन रही है तो इससे वहां के किसानों को कितना लाभ मिलेगा ये जानने की कोशिश न्यूज स्टेट बिहार झारखंड की टीम ने की. जहां वार्ड नंबर 4 के किसानों से जब हमने सवाल पूछा तो उन्होंने इस तालाब निर्माण को फिजूल बता दिया. वहीं, दूसरी तरफ नगर पंचायत क्षेत्र के ग्रामीण इस भीषण गर्मी में बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. इस प्रशासन ग्रामीणों को पीने का पानी तो मुहैया करवा नहीं पा रहा, लेकिन एक तालाब निर्माण में सवा करोड़ की राशि खर्च करने को तैयार है.
दरअसल पंचायत में 32 करोड़ की लागत से पानी टंकी का निर्माण किया गया है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते दो साल बीत जाने के बाद भी इस पानी टंकी से एक बूंद भी पानी ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है. एक ओर जहां शहर के लोग इस भीषण गर्मी में पानी के लिए हाहाकार कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर नगर पंचायत के अधिकारी और चुने हुए जनप्रतिनिधि आपस में ही तालाब के निर्माण को लेकर रस्सा कस्सी करने में लगे हैं.
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बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे लोग
देश में भले ही आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा हो,लेकिन इस अमृत काल में भी लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. लातेहार में पानी के लिए लोग जद्दोजहद कर रहे हैं. लोगों की इस परेशानी का कारण वो जनप्रतिनिधि और अधिकारी हैं जिन्हें अपनी जेबें गर्म करने के अलावा कुछ नहीं सूझता. बहरहाल अब देखना ये होगा कि खबर दिखाए जाने के बाद पूरे मामले पर प्रशासन कुछ कारवाई करती है या इस पर भी लीपापोती कर दी जाएगी.
रिपोर्ट : गोपी सिंह
HIGHLIGHTS
- तालाब निर्माण की आड़ में 'बंदरबांट' की तैयारी!
- सरकारी पैसों की चपत... सवालों में अधिकारी!
- तालाब निर्माण के टेंडर में गड़बड़झाला!
- अधिकारियों के दावों में कितनी सच्चाई?
- किसानों को फायदा नहीं.. तो क्यों हो रहा निर्माण?
Source : News State Bihar Jharkhand