गढ़वा का बूढ़ा पहाड़ जिसे भाकपा माओवादियों का राजधानी माना जाता था, अब वो बूढ़ा पहाड़ सुरक्षाबलों ने खाली करा लिया है. इस पहाड़ को भाकपा माओवादी संगठन ने प्रशिक्षण स्थल के रूप में विकसित कर रखा था. जिसका खुलासा अब हो रहा है. वहीं, सुरक्षाबल के जवानों को पहाड़ के सर्च करने के दौरान एक-दो नहीं बल्कि 12 से ज्यादा ऐसे बंकर का पता चला है. जिसमें माओवादी रहते थे. जिसमें भारी मात्रा में विस्फोटक छिपा कर रखते थे. वहीं, इस मामले पर सीआरपीफ 172 बटालियन के कमानडेंट नृपेंद्र सिंह ने कहा कि आज भी जब हमलोग सर्च करते हैं तो पहाड़ों के इर्द-गिर्द माइंस गड़े मिलते हैं. कई बंकर मिले है जहां विस्फोटक छिपा कर रखते थे. फिलहाल बूढ़ा पहाड़ के खाली होने से पूरे झारखंड में नक्सलियों की कमर टूट चुकी है.
हुआ करता था लाल आतंक का गढ़
आपको बता दें कि बूढ़ा पहाड़ पर जहां तक नजर जाती है सिर्फ हरियाली दिखाई देती है. झारखंड के गढ़वा में एक वक्त ऐसा भी था जब हरियाली से घिरा ये इलाका लाल आतंक के कहर को झेल रहा था. प्रकृति की गोद में सोया ये क्षेत्र गोलियों की तड़तड़ाहट और बम विस्फोट की आवाज से दहल उठता था. नक्सलियों के गढ़ बने बूढ़ा पहाड़ के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया था, लेकिन सुरक्षाबलों की लगातार कोशिश ने आज इस इलाके को नक्सलियों से आजाद कर दिया है.
बड़े ऑपरेशन के बाद भागे नक्सली
इस इलाके में नक्सलियों का राज हुआ करता था. इस इलाके में न जाने कितने जवानों ने शहादत दी. पूढ़ा पहाड़ जिले के सबसे दुर्गम इलाकों में गिना जाता है. ऐसे में नक्सलियों ने इस इलाके को अपने कब्जे में ले लिया था. सुरक्षबलों के लिए इस इलाके में ऑपरेशन चलाना आसान नहीं था, लेकिन अब यहां शांति का माहौल है. गढ़वा पुलिस और सीआरपीएफ 172 बटालियन ने भाकपा माओवादियों से बूढ़ा पहाड़ को मुक्त करा दिया है.
HIGHLIGHTS
- गढ़वा के बूढ़ा पहाड़ पर मिले 12 से ज्यादा बंकर
- नक्सली यहां छुपाते थे विस्फोटक
- सुरक्षाबलों का सर्च लगातार जारी
Source : News State Bihar Jharkhand