क्रिकेट की बात होगी तो 'माही' की चर्चा होगी. माही क्रिकेट का वो शब्द है, जिसकी गुंज अभी आईपीएल सीजन 16 में भी सुनाई दे रही है. जब भी सीएसके का मैच होता है तो उस में स्टेडियम में सिर्फ एक ही नाम दर्शकों के जुबां पर होता है, वह नाम है महेंद्र सिंह धोनी का उपनाम माही. लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि महेंद्र सिंह धोनी कैसा माही बना गए. आइए आपको आज क्रिकेट वाचन में ये बताने जा रहा हूं कि कैसे रांची के राजकुमार धोनी से माही बन गए.
वो यादगार '148' रन
आज से 18 साल पहले यानी 2004-05 में पाकिस्तानी टीम भारत दौरे पर आई थी. विशाखापत्तनम के डॉ. वाईएस राजशेखरा रेड्डी क्रिकेट स्टेडियम में पाक के खिलाफ वनडे सीरीज के दूसरे मुकाबले में तत्कालीन कप्तान सौरभ गांगुली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. भारत ने शीघ्र ही सचिन का विकेट गंवा दिया. क्रिकेट में हमेशा नए प्रयोग करने के लिए मशहूर सौरभ ने नंबर तीन पर बल्लेबाजी के लिए रांची के इस बल्लेबाज को भेजा. धोनी इस मैच से पहले पांच वन डे मुकाबले में कोई खास कमाल नहीं कर पाए थे, लेकिन इस मैच में धोनी ने यादगार 123 गेंदों में 15 चौके और पांच छक्कों की बदौलत 148 रन की यादगार पारी खेलकर धोनी से माही बन गए.
धोनी का जादूई पारी
मैदान में आते ही दिग्गज पाकिस्तानी तेज गेंदबाज मोहम्मद समी की गेंद को जमीन के सहारे बाउंड्री लाइन से बाहर भेजकर धोनी ने खाता खोला. उसके बाद आतिशी बल्लेबाजी आरंभ किया और फिर केवल 49 गेंदों में पहला पचास रन पूरा किया. वहीं दूसरा पचास रन बनाने के लिए एमएस ने सिर्फ 39 गेंद खेले. धोनी के आक्रामक बल्लेबाजी से पूरे स्टेडियम में माही-माही नाम गुंजने लगी और पूरे क्रिकेट जगत में अब एक नया खिलाड़ी का उदय भी हुआ था. जो आगे चलकर भारत को तीन आईसीसी ट्रॉफी खिताब दिलाए.
स्क्रिप्ट- पिन्टू कुमार झा
HIGHLIGHTS
- 148 रनों की लाजवाब पारी
- धोनी को बनाया माही
- गांगुली ने दिया बड़ा अवसर
Source : News State Bihar Jharkhand