'काले हीरे' के सौदागरों का हब बना झारखंड, खेतों में होती है 'मौत की खेती'
झारखंड में एक तरफ नक्सली नेस्तनाबूद हो रहे हैं. सुरक्षाबलों की कार्रवाई से उनकी कमर टूट रही है. जिसके बाद बौखला रहे लाल आतंक ने काले हीरे यानि अफीम को कमाई का जरिया बना लिया है.
झारखंड में एक तरफ नक्सली नेस्तनाबूद हो रहे हैं. सुरक्षाबलों की कार्रवाई से उनकी कमर टूट रही है. जिसके बाद बौखला रहे लाल आतंक ने काले हीरे यानि अफीम को कमाई का जरिया बना लिया है. लातेहार के ग्रामीण इलाकों में ये तस्करों के जरिये किसानों से अफीम की खेती करवाते हैं. पुलिस कई बार कार्रवाई करते हुए इन फसलों को रौंद चुकी है, लेकिन फिर भी ये नए-नए तरीके ढूंढ लेते हैं. झारखंड नशे के सौदागरों का हब बनता जा रहा है.
बाजार में कीमत एक करोड़ अफीम, वो करिश्माई पौधा है जिसकी कोख से दुनिया के सबसे तेज नशे 'हेरोईन' का जन्म होता है. अफीम, वो करामाती पौधा है जिसके फूल और फल के साथ-साथ इसका एक-एक तिनका, डंठल और जड़ तक बिक जाता है. अफीम की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगभग एक करोड़ रुपए प्रति किलोग्राम बताई जाती है. जिस लातेहार में अन्न उपजाने के लिए ऊपर वाले ने जमीन दी है. उसी लातेहार में अफीम की खेती आम हो गई है और सुरक्षित भी. तस्कर किसानों को मोटा मुनाफा देते हैं और बेहिचक मौत की खेती किसानों से यहां करवाई जाती है. लातेहार अफीम की खेती के लिए सौदागरों का सॉफ्ट टारगेट बन चुका है.
गांवों में खुलेआम खेती हेरहंज, बालूमाथ, चंदवा और बारियातू प्रखंड के कई गांव में खुलेआम अफीम की खेती होती है. आए दिन ग्रामीण इलाकों में घुसकर पुलिस कार्रवाई भी करती है, लेकिन हर कार्रवाई के बाद अफीम खेती के धंधा फलता-फुलता ही जा रहा है. कहते हैं कि बालूमाथ इलाके में अफीम की खेती चतरा जिले से सटे इलाकों से शुरू हुई थी. जिसके बाद पलामू, चतरा और लातेहार के सीमावर्ती क्षेत्र नदी के किनारे यह हेरहंज, पांकी, लावालौंग, बारियातू, बालूमाथ समेत कई जगहों पर फैल गया. पुलिसिया कार्रवाई को मानो नशे के ये सौदागर रूटीन कार्रवाई मान बैठे हैं.
अफीम का इंटरनेशनल कनेक्शन झारखंड की अफीम के इंटरनेशनल कनेक्शन की भी बात पहले भी सामने आ चुकी है. पिछले कुछ सालों में झारखंड नशे के इस खेती का हब बन गया है. यहां उगाई जा रही अफीम देश के दूसरे हिस्सों के अलावे विदेशों तक पहुंचाई जा रही है. अब अफीम के तस्करों और खेती करने वालों के खिलाफ एक ठोस और सशक्त कार्रवाई की जरूरत है.