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News State Explainer : आखिर सम्मेद शिखर जी से जुड़े विवाद की क्या है जड़ और क्यों बैकफुट पर आया केंद्र?

सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के केंद्र सरकार के पैसले के खिलाफ बीते कुछ दिनों से जैन समुदाय के लोग लगातार आंदोलन कर रहे थे. यहां तक कि कई जैम मुनियों ने आमरण अनसन भी शुरू कर दिए.

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Shailendra Shukla
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सम्मेद शिखर जी ( Photo Credit : File Photo)

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जैन समुदाय की आखिरकार जीत हुई है और केंद्र सरकार को अपने ही तीन साल पहले लिए गए निर्णय को वापस लेना पड़ा है. दरअसल, झारखंड के गिरिडीह में बने जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थान सम्मेद शिखर जी अब पर्यटन क्षेत्र नहीं रहेगा. केंद्र सरकार ने तीन साल पहले जो निर्णय लिया था उसे वापस ले लिया है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दो पन्नों के निर्देश जारी किया गया है. निर्देश में लिखा है, 'इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं. राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है.'

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बता दें कि सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के केंद्र सरकार के पैसले के खिलाफ बीते कुछ दिनों से जैन समुदाय के लोग लगातार आंदोलन कर रहे थे. राजनीतिक बयानबाजियां भी हुई. यहां तक कि कई जैम मुनियों ने आमरण अनसन भी शुरू कर दिए. इस दौरान जैन मुनि सुज्ञेय सागर महाराज का मंगलवार को आमरण अनसन के दौरान ही निधन भी हो गया. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि आखिर जैन समुदाय के लोग क्यों आंदोलन कर रहे हैं? सम्मेद शिखरजी का विवाद क्या है? और विवाद पर सभी पक्षों का क्या कहना है?

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क्या है विवाद?

सबसे पहले सम्मेद शिकर जी से जुड़ा जो विवाद है उसे जान लेते हैं. दरअसल, झारखंड के गिरिडीह में स्थित सम्मेद शिखर जी जैन समुदाय के लोगों का पवित्र तीर्थ स्तान है. ये गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ी पर स्थिति है और सम्मेद शिखर जी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है. ये स्थान जैन समुदाय के लोगों की आस्था से जुड़ा है. लोग सम्मेद शिखर जी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में भी पूजा-पाठ करते हैं. कहा जाता है कि यहां लोग पहुंचने पर बिना पूजा पाठ किए कुछ भी नहीं खाते पीते. जैन समुदायक की मान्यता के मुताबिक यहां 24 में से 20 जैन तीर्थंकारों और भिक्षुओं को मोक्ष मिला था. 

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तत्कालीन BJP सरकार ने घोषित किया था पर्यटन स्थल

सम्मेद शिखर जी को फरवरी 2019 में झारखंड की तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित कर दिया गया था. इतना ही नहीं देवघर में बैजनाथ धाम और दुमका को बासुकीनाथ धाम को भी पर्यटन स्थल की सूची में डाला था. अगस्त 2019 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और इसे पर्यटन स्थल घोषित करते हुए कहा था कि यहां 'पर्यटन को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता' है. केंद्र सरकार के इसी फैसले का जैन समुदाय के लोग विरोध कर रहे थे जिसे अब केंद्र ने वापस ले लिया है.

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जैन समुदाय क्यों कर रहा विरोध?

सम्मेद शिखर जी क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाने का जैन समुदाय विरोध कर रहा था. जैन समुदाय का कहना है कि ये आस्था का केंद्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं. अगर इसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया जाएगा तो लोग यहां पर मांस और मदिला का भी इस्तेमाल करेंगे और ऐसा करने से इस पवित्र स्थान की पवित्रता खंडित होगी. हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. साथ ही जैन समुदाय के लोग शत्रुंजय पर्वत पर भगवान आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने को लेकर भी गुस्से में हैं.

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जमकर हो रही राजनीति

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने मामले को लेकर बीजेपी पर करारा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि सम्मेद शिखर जी को लेकर नोटिफिकेशन पूर्व की बीजेपी सरकार द्वारा ही जारी किया गया था. वहीं, जेएमएम का कहना है कि पहले केंद्र ने ही सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित किया था और अब बीजेपी ही लोगों को गुमराह कर रही है.

दूसरी तरफ, बीजेपी अलग ही राग अलाप रही है. बीजेपी का कहना है कि जब झारखंड में बीजेपी सरकार थी तो सम्मेद शिखर जी को तीर्थस्थल घोषित किया गया था और इसके संरक्षण के लिए काम भी किया गया था. अब जेएमएम सरकार इसे खंडित करने और जैनियों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है.

वहीं, स्थानीय जिला प्रशासन यानि गिरिडीह के डीसी का कहना है कि शिखर जी के पदाधिकारियों के साथ 22 दिसंबर 2022 को एक बैठक बुलाई गई थी. बैठक में जैन प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि इस जगह के पवित्रता को बरकरार रखा जाएगा और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना ना हो सके इसके लिए वहां पुलिस बल की भी तैनाती कर दी गई है.

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केंद्र सरकार का फैसला

झारखंड से लेकर दिल्ली तक पारसनाथ मामले को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. इस बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्र के फैसले के मुताबिक, पारसनाथ स्थित जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थान सम्मेद शिखर अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा. मोदी सरकार द्वारा गुरुवार को बीते 3 वर्ष पहले जारी किए गए अपने ही आदेश को वापस ले लिया है. इस बावत केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आज एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है. नए नोटिफिकेशन के मुताबिक सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं. केद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस बात की जानकारी आज दी है.

सम्मेद शिखर जी पर मोदी सरकार का फैसला:

1. पारसनाथ मामले में केंद्र ने समिति बनाई

2. राज्य सरकार समिति में जैन समुदाय से दो सदस्य शामिल करें

3. स्थानीय जनजातीय समुदाय से एक सदस्य शामिल करें

4. 2019 की अधिसूचना पर राज्य कार्रवाई करे

5. 2019 अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक

6. पर्यटन, इको टूरिज्म गतिविधियों पर तत्काल रोक  

7. झारखंड सरकार तत्काल आवश्यक कदम उठाये

HIGHLIGHTS

  • जैनियों के आस्था का केंद्र है सम्मेद शिखरजी
  • झारखंड के गिरिडीह में स्थित है सम्मेद शिखरजी
  • अब पर्यटन स्थल नहीं रहेगा सम्मेद शिखरजी
  • 2019 के अपने फैसले को केंद्र ने लिया वापस
  • सम्मेद शिखरजी मामले को लेकर जमकर हो रही राजनीती

Source : Shailendra Kumar Shukla

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