पूरा देश आज दीपोत्सव का पर्व दीपावली मना रहा है. बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के इस त्यौहार पर जहां एक तरफ रंग बिरंगी आतिशबाजी की जाती है तो वहीं, दूसरी तरफ मंदिरों में मां काली की भी पूजा की जाती है. आज हम आपको देवघर के पथरोल स्थित पांच सौ साल पुरानी जागृत माता काली के दर्शन कराएंगे जिनके सुमरीन मात्र से ही भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. मां काली का यह मंदिर जागृत है.
देवघर के मधुपुर अनुमंडल स्थित पथरोल काली मंदिर में दीपावली के मौके श्रद्धालुओं की भीड़ लगी है. मंदिर का हर कोना दीप से पटा है और लाखों की तादाद में महिलाएं माता की आराधना में जुटी है. पथरोल मां काली के इस मंदिर में श्रद्धालु देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं क्यूंकि, मां काली का यह मंदिर जागृत है. ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की जो भी मन्नतें होती है वो जरूर पूरी होती हैं.
जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर मधुपुर अनुमंडल स्थित इस पथरोल गांव में जागृत काली का यह मंदिर है जो कि पांच सौ वर्ष पुरानी है. जहां भक्तों की हर मन्नतें पूरी होती है. जानकारों के मुताबिक राजा दिग्विजय सिंह ने काली मंदिर स्थापित की है, जहां पहले, आपरूपी मां काली मंदिर की जगह सिर्फ बेदी की ही पूजा की जाती थी. जिसके बाद मां काली ने सपने में आकर राजा दिग्विजय सिंह को कोलकाता कालीघाट से प्रतिमा लाकर स्थापित करने का आदेश दिया था. जिसके बाद उन्हें डोली से कंधे पर लादकर पूरे विधिविधान के साथ लाया गया और वीरभूम जिले के पुरोहित से स्थापना कराया गया जो आज तक यहां विराजमान हैं.
भक्तों की मानें तो यहां की मां काली काफी जागृत है. कोरोना महामारी को लेकर दो वर्षो तक मंदिर में भक्तों की भीड़ में कमी आई थी लेकिन इस साल पिछले चार दिनों में करीब पांच लाख से ज्यादा भक्तों ने मां का आश्रिवाद लिया है. इतना ही नहीं, दीपावली के समय पथरोल काली मंदिर में जुटने वाली भक्तों की भीड़ के मद्देनज़र प्रसाशन ने भी पुख्ता इंतज़ाम किए थें.
दीपावली के मौके पर माता काली की पूजा कर लोग खुद को धन्य मान रहे हैं और देशवाशियों के लिए सुख समृद्धि की कामना के साथ ही अमन चैन की भी दुवा मांग रहे हैं.
इनपुट - उत्तम आनंद
Source : News State Bihar Jharkhand