सरायकेला कहने को तो परिवहन मंत्री सह विधायक चंपई सोरेन का गृह विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन यहां एक ऐसा भी गांव है जहां लोगों को आज भी पीने के लिए साफ पानी तक नसीब नहीं होता है. जिस कारण मजबूरी में लोगों को नाले का गंदा पानी पीना पड़ता है. लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. जिस कारण लोग कई बिमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. आजादी के इतने साल बाद भी इस गांव के लोगों को पीने के लिए साफ पानी तक नसीब नहीं होता है. नाले का गंदा पानी पीने को लोग मजबूर हैं.
नाले का पानी पीने को मजबूर हैं लोग
सरायकेला जिला के नगर निगम क्षेत्र आदित्यपुर के मिरुडीह गांव की ये सच्चाई है. जहां लोगों की ऐसी स्तिथि है कि जिसे देख इस बात का पता चलता है कि आज भी यहां लोगों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है. मिरुडीह गांव एक आदिवासी बहुल बस्ती हैं. जहां 200 से भी ज्यादा लोग रहते हैं. जो सालों से नाले का गंदा पानी पीकर ही जी रहे हैं. आज जहां हम विकास की ओर आगे बढ़ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ ऐसी तस्वीर देखकर ऐसा लगता है कि आज भी हम 19वीं शताब्दी में जी रहे हैं.
कई सालों से खराब पड़ा है हैंडपंप
ग्रामीणों ने इस मामले में कहा कि कई साल पहले सरकार के द्वारा यहां हैंडपंप तो लगवाया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद ही वो खराब हो गया, तब से लेकर आजतक वो खराब ही पड़ा है. जिस कारण कहीं से भी पानी ना मिलने के कारण लोग नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. वैसे तो सरकार द्वारा हर घर पानी पहुंचाने के लिए नल जल योजना चलाई जा रही है, लेकिन इस गांव में ये योजना फेल होते दिख रही है. गंदे नाले का दूषित पानी पीने से कई बीमारियां से ग्रामीण ग्रसित हो रहे हैं, लेकिन मजबूरी में फिर भी उन्हें यही पानी पीना पड़ रहा है.
HIGHLIGHTS
- नाले का गंदा पानी पीने को लोग हैं मजबूर
- कई वर्षों से लोग नाले का पानी पीकर कर रहे हैं जीवन यापन
- कई सालों से खराब पड़ा है हैंडपंप
Source : News State Bihar Jharkhand