पहाड़ियों से घिरे चतरा जिले में अफीम की खेती धड़ल्ले से की जा रही है. अफीम माफिया के हौसले ऐसे बुलंद है कि किसानों को इसके लिए मोटी रकम दी जा रही है. हालांकि पुलिस प्रशासन के भी अपने दावे हैं. पुलिस का कहना है कि अफीम की खेती को नष्ट किया जा रहा है, लेकिन तस्वीरें तो कुछ और ही हालात बयां करती है. चतरा जिला झारखंड और बिहार की सीमा पर स्थित है. इस जिले को आजादी की लड़ाई में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है, लेकिन बीते दो दशक से ये जिला नशा तस्करों की जद में आ गया है. यहां के खेतों में फसलों की जगह सफेद जहर को सींचा जा रहा है. वैसे तो झारखंड के कई जिलों में अफीम की खेती होती है, लेकिन चतरा जिला में ये गोरखधंधा धड़ल्ले से किया जाता है.
प्रशासन के दावों पर पानी
इस जिले में अफीम की खेती की सबसे बड़ी वजह गरीबी है. ये जिला लंबे समय से बेरोजगारी और अशिक्षा का दंश झेल रहा है. पुलिस प्रशासन नशा तस्करों पर शिकंजा कसने का दावा तो करती है, लेकिन खेतों में लहलहा रहे सफेद पौधे प्रशासन के दावों पर पानी फेरने के लिए काफी है. पुलिस की टीम ने गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान भी चलाया, बावजूद इसका कोई असर नहीं हो रहा. ये जिला पहाड़ों से घिरा हुआ है. लिहाजा पहाड़ों की तलहटियों में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.
पुलिस की कार्रवाई
स्थानीय लोगों की बातों से उलट जिले के एसपी राकेश रंजन की मानें तो इस साल तकरीबन 1300 एकड़ में अफीम की खेती को नष्ट किया जा चुका है और लगातार कार्रवाई की जा रही है. हालांकि पुलिसिया कार्रवाई के बाद भी सुदूरवर्ती इलाकों में आज भी हजारों एकड़ में अफीम की फसल लहलहा रही है.
अधिकारियों की मिलीभगत
बहरहाल, पुलिस प्रशासन के दावे अपनी जगह और हालात बयां करती तस्वीरें अपनी जगह. जिले में नशा तस्करों की पैठ की वजह अधिकारियों की मिलीभगत भी बताई जा रही है. यही वजह है कि किसानों को अफीम की खेती के लिए माफिया मोटी रकम भी देते हैं. ऐसे में जरूरत है कि जागरुकता अभियान चलाने के साथ ही पुलिस सख्त कार्रवाई करे और तमाम नशा माफियाओं पर शिकंजा कसे.
रिपोर्ट : विकास कुमार
HIGHLIGHTS
- खेती में सींचा जा रहा 'सफेद जहर'
- धड़ल्ले से हो रही अफीम की खेती
- सैंकड़ों एकड़ में हीती है खेती
- पुलिस प्रशासन के दावों की खुली पोल
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