गुमला जिला में इन दिनों उद्यान विभाग के सहयोग से बहुत बड़े पैमाने पर जैविक खेती करके ग्रामीणों द्वारा अच्छी खासी कमाई की जा रही है. वहीं, जिला प्रशासन ने भी ग्रामीणों को जैविक खेती करने में हर संभव सहायता का भरोसा दिया है. जिसके बाद आज गुमला के कई गांव की तस्वीर पूरी तरह से बदलती नजर आ रही है. वहीं, काम के लिए गांव से होने वाले पलायन पर भी रोक लग रहा है. लोग अब अपने गांव में ही रहकर जैविक खेती कर रहे हैं. जिससे उन्होंने काफी फायदा हो रहा है.
कृषि ही एक मात्र उनके जीविका का है साधन
गुमला जिला झारखंड का एक ऐसा जिला है. जहां के लोगों के लिए कृषि ही एक मात्र उनके जीवन के जीविका का मुख्य साधन है. जिला में अगर कृषि कार्य के इतिहास पर ध्यान दिया जाय तो जिला में केवल परंपरागत तरीके से धान की खेती ही मानसून की बारिस से करने की परंपरा है. उसके बाद किसान मजबूरी में पलायन कर जाते थे, लेकिन इसके बाद जिला के प्रशासन ने गंभीरता से लिया. उसके बाद इलाके के लोगों को सालों भर खेती से जोड़कर रोजगार देने की योजना पर कृषि विभाग के विभीन्न इकाई से चर्चा शुरू की जिसके बाद उद्यान विभाग को ग्रामीणों को सब्जी की खेती से जोड़ने की पहल करने का निर्देश दिया गया. जिसके बाद शुरुआती कुछ वर्षों तक तो सामान्य तरीके से सब्जी की खेती की जा रही थी, लेकिन उसमे देखा गया कि रासायनिक खाद के उपयोग से खेत की उपज प्रभावित होने लगी. उसके बाद उद्यान विभाग की ओर से जैविक खेती को करने का काम शुरू किया गया. जिससे ना केवल उपज अच्छी हो रही है बल्कि उपज शरीर के साथ ही जमीन के स्वस्थ के लिए भी बेहतर हो रही है. जिला उद्यान पदाधिकारी नेहा निश्चल ने कहा कि इससे किसानों को काफी लाभ मिल रहा है.
यह भी पढ़ें : Jharkhand News: सीसीएल कॉलोनी में गंदगी का अंबार, शिकायत करने पर दी जाती है धमकी
आर्थिक रूप से मजबूत हुए किसान
वहीं, जिला के सदर प्रखंड, घाघरा प्रखंड के साथ ही सिसई बिशुनपुर रायडीह सहित कई प्रखंडों में आज जैविक विधि से खेती कर ग्रामीणों ने ना केवल अपने लिए आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का रास्ता तैयार किया है बल्कि आज ग्रामीणों को काम के लिए पलायन करने की बात सोचनी भी नहीं पड़ती है. ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि इससे ना केवल उपज बेहतर हुई है बल्कि आज उनके उपज की बाजार में कीमत भी बहुत अच्छी मिल रही है. लोग उनके गांव से आकर उनके उत्पादित सब्जी को खरीदकर ले जाते हैं. वहीं, ग्रामीण महिलाओं ने कहा कि इसमें कृषि विभाग व उद्यान विभाग के साथ ही गैर सरकारी संस्थाओं ने भी पूरा सहयोग किया है.
प्रशासन हर संभव मदद देने को तैयार
इलाके में हो रही पलायन की समस्या से परेशान जिला प्रशासन को अब लगने लगा है कि जैविक खेती से किसान अपनी जमीन से कम संसाधन में काफी अच्छी उपज ले रहा है. जो लगातार दिन प्रतिदिन और बढ़ता जा रहा है. जिला के डीसी कर्ण सत्यार्थी की माने तो रासायनिक खाद के उपयोग ने ना केवल वातावरण पर गलत प्रभाव पड़ता है बल्कि जमीन की उपज की भी क्षमता धीरे धीरे कम होते जाती है. ऐसे में उन्होंने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन हर संभव मदद देने को लेकर तैयार है.
रिपोर्ट - सुशिल कुमार सिंह
HIGHLIGHTS
- कृषि ही एक मात्र उनके जीविका का है साधन
- आर्थिक रूप से मजबूत हुए किसान
- प्रशासन हर संभव मदद देने को तैयार
Source : News State Bihar Jharkhand