झारखंड में भीषण गर्मी से हाहाकार मचा है. इस बीच बोकारो में लोग दोहरी मार झेल रहे हैं. पहली गर्मी की और दूसरी पानी की किल्लत की. आलम ये है कि लोग गड्ढे और कुएं के गंदे पानी से गुजारा करने को मजबूर हैं. जिन हाथों में किताब होनी चाहिए उन हाथों में प्यास बुझाने के लिए बर्तन है. सरकारी दावों को खोखला साबित करती ये तस्वीर झारखंड के बोकारो के कारीपानी गांव की है. जहां पानी पीने के लिए जनता एक छोटी सी पोखर पर निर्भर है. पानी ऐसा की जानवर भी इस पानी को पीने से मना कर दे.
गंदा पानी पीना मजबूरी
लगभग 40 साल से इसी तरह लोग पानी की समस्या से परेशान है और सरकारी मदद औक सरकारी विभाग की उदासीनता ने लोगों को इस गंदे पानी को पीने के लिए मजबूर किया है. ऐसे में जनता अपनी आवाज को निगम पार्षद तक पहुंचाती है और पार्षद का वहीं रटा रटाया बयान सामने आता है कि हमने चिठ्ठी लिख कर जानकारी दी है, लेकिन उस चिट्ठी के जवाब के आस में जनता को इंतजार है तो साफ पानी की सुविधा का है.
ग्रामीणों की गुहार...
ऐसे में विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह और सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी जी शायद अपने क्षेत्र की जनता की समस्या को दूर करने के बजाय राजनीति करने में बिजी है, लेकिन हुजूर आपसे एक निवेदन है कि जनता के जिस सुख दुख के साथी बनने के वादों के साथ आप सत्ता में काबिज हुए थे. उनकी मजबूरी और उनकी आवाज को सुनिए और पीने के स्वच्छ पानी की सुविधा कर लगभग 5 हजार आबादी वाले इस गांवों के लोगों को पीने के पानी मुहैया करवाईए.
रिपोर्ट : संजीव कुमार
HIGHLIGHTS
- जलसंकट से हाहाकार
- गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण
- विकास का ये कैसा मॉडल?
- ग्रामीणों की गुहार... सुन लो सरकार
Source : News State Bihar Jharkhand