जमशेदपुर में बूंद-बूंद पानी के लिए हाहाकार, टैंकर के पीछे भागने को मजबूर लोग

मिनी मुंबई के नाम से जाने वाले जमशेदपुर में इन दिनों पानी के लिए हाहाकार मचा है. लोगों को पीने तक का पानी नहीं मिल रहा.

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Jatin Madan
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कतार में लगकर पानी भरने को मजबूर.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

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मिनी मुंबई के नाम से जाने वाले जमशेदपुर में इन दिनों पानी के लिए हाहाकार मचा है. लोगों को पीने तक का पानी नहीं मिल रहा. आलम ये है कि टैंकर के सहारे लोगों का गुजारा हो रहा है. क्या बच्चे और क्या बूढ़े, पानी की ऐसी किल्लत कि लोग काम काज और पढ़ाई छोड़कर टैंकर के पीछे भागने को मजबूर हैं. हाथों में बाल्टी और बर्तन लिए लोग कतार में लगे हैं. क्योंकि पानी के लिए हाहाकार मचा है. ऐसा नहीं है कि जमशेदपुर के हर इलाके में इस तरह के हालात है. शहर के जिन इलाकों में निजी कंपनी की ओर से लोगों को पानी सप्लाई होता है वहां तो 24 घंटे पानी आता है, लेकिन शहर में कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां 24 घंटे तो दूर पानी सप्लाई ही नहीं होती.

मिनी मुंबई में पानी की किल्लत

भीषण गर्मी और पानी की किल्लत लोगों के लिए दोहरी मार की तरह है. कुछ इलाकों में तो लोग पूरी तरह पानी के टैंकर पर ही निर्भर है. हालांकि ये टैंकर भी प्रशासन की ओर से नहीं आता. बल्कि जमशेदपुर में जल पुरुष के नाम से जाने जाने वाले राजकुमार सिंह लोगों तक मुफ्त पानी टैंकर से पहुंचाते हैं. लोग कई किलोमीटर दूर तक जाते हैं तब जाकर पानी मिल पाता है. बच्चे स्कूल और खेलकूद छोड़ पानी के लिए जद्दोजहद करते हैं. सुबह 4 बजे से महिलाएं लाइन में लग जाती है. मानो टैंकर का इंतजार ही लोगों का एक मात्र लक्ष्य है. परसुडीह, बागबेड़ा, जुगसलाई, घाघीडीह, मानगो में तो बूंद-बूंद पानी के लिए मारामारी हो रही है. इन इलाकों में प्रशासन की ओर से लगाए गए चापाकल सिर्फ शोभा बढ़ाने का ही काम कर रहे हैं. क्योंकि पानी का लेवल 700 फीट नीचे चला गया है. जिसकी वजह से चापाकल तो सूखा है ही सारे बोरिंग भी सूख गए हैं.

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समाजसेवी की मदद से हो रहा गुजारा

जमशेदपुर के ग्रामीण इलाकों में जलापूर्ति योजना पहुंची ही नहीं है. जिसके चलते लोग चापाकल पर ही निर्भर है, लेकिन अब तो चापाकल भी सूख गए हैं. आलम ये है कि दूर दराज के गांवों में तो लोग नदी और तालाबों पर निर्भर हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन पानी उपलब्ध कराने की दिशा में कोई पहल करता नजर नहीं आ रहा. लोग पानी की कमी ने लोगों की दीनचर्या खराब कर दी है, लेकिन प्रशासन के कानो तले जूं तक नहीं रेंगा. आम जनता समाजसेवी राजकुमार सिंह के भरोसे गुजारा कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बदइंतजामी का जवाबदेह प्रशासन नहीं है. अगर समाजसेवी के बदौलत ही पानी की आपूर्ति होगी तो प्रशासन के अधिकारी का क्या काम?

रिपोर्ट : रंजीत ओझा

HIGHLIGHTS

  • बूंद-बूंद पानी के लिए हाहाकार
  • मिनी मुंबई में पानी की किल्लत
  • समाजसेवी की मदद से हो रहा गुजारा
  • कतार में लगकर पानी भरने को मजबूर

Source : News State Bihar Jharkhand

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