लातेहार शहरी क्षेत्र के कई इलाके ऐसे हैं. जहां लोग चुआड़ी का मटमैला पानी पीने को विवश हैं. प्रचंड गर्मी की वजह से चुवाड़ी, कुएं भी सूखने के कगार पर हैं. जिससे पानी को लेकर ग्रामीणों में हाहाकार मचा है, लेकिन अधिकारियों को लोगों की परेशानी नहीं दिखती. लातेहार की महिलाओं को भीषण गर्मी में दूर-दराज के इलाकों से सिर पर पानी का कैनन रखकर ढोना पड़ रहा है. एक ओर जहां सरकार हर घर नल जल योजना के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध करानी की बात करती है, तो वहीं लातेहार शहरी क्षेत्र के कई ऐसे भी इलाके हैं जहां ग्रामीण चुआड़ी का गंदा और दूषित पानी पीने को विवश हैं.
भीषण गर्मी से सूख रहे कुएं और पोखर
लातेहार के सुदूरवर्ती इलाकों में चुवाड़ी से मटमैला पानी बाल्टी में भरकर लाती महिलाएं सरकार के तमाम दावों की पोल खोलती नजर आ रही हैं. आदिवासियों के नाम पर राजनीति करने वाली सरकार को आदिवासियों की ये परेशानी नहीं दिखती. आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी पानी के लिए दर-दर भटकना पड़े तो विकास पर सवाल उठना लाजमी है. रोजाना अपनी प्यास बुझाने के लिए दोगिला के ग्रामीण चिलचिलाती धूप में अपने घर से एक किमी दूर जाकर चुआड़ी का पानी लाते हैं, तब जाकर उनका चूल्हा जल पाता है. अपने रोजाना के दर्द को वे कुछ इस तरह से बयां भी कर रहे हैं.
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दूर-दराज से पानी ढोने को मजबूर महिलाएं
हालांकि रघुवर सरकार के दौरान इस इलाके में करीब 32 करोड़ रुपये की लागत से पानी की टंकी बनाई गई. इसके बावजूद ग्रामीणों को पेयजल नहीं मिलने पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. महागठबंन सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल के सदर प्रखंड अध्यक्ष मोहम्मद निजाम अंसारी ने पानी टंकी शुरू न होने पर सवाल उठाया है तो वहीं जेएमएम अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष वारिश अंसारी ने इस योजना के शुरू न होने और ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिलने को लेकर सीधे तौर पर नगर पंचायत अध्यक्ष सीतामणी तिर्की और उपाध्यक्ष नवीन कुमार सिन्हा को जिम्मेदार ठहराया है.
वहीं, इस पूरे मामले पर जब लातेहार नगर पंचायत के कार्यपालक अभियंता शेखर कुमार से न्यूज स्टेट ने जब पानी टंकी के चालू न होने की वजह पूछी तो उनका तर्क था कि अभी तक हमें ये हैंडओवर नहीं किया गया है.
मटमैला पानी पीकर प्यास बुझा रहे लोग
फिलहाल जुडको नाम की एजेंसी ने जिस रॉक ड्रिल कंपनी को पानी टंकी के निर्माण कार्य का जिम्मा दिया है, वो खुद कई सवालों के घेरे में है. पानी टंकी के निर्माण कार्य में भारी लापरवाही बरती गई है. लिहाजा ये योजना शुरू होने से पहले ही जर्जर हो चुकी है. सरकार ने इस योजना में 32 करोड़ रुपये खर्च कर दिये, लेकिन इसके बावजूद योजना में इतनी बड़ी लापरवाही बतरने वाली कंपनी पर अब तक क्या एक्शन लिया गया है. ये एक बड़ा सवाल है और पानी के लिए भटक रहे इन ग्रामीणों को इस योजना के मूर्त रूप लेने का बेसब्री से इंतजार है ताकि उन्हें चिलचिलाती धूप में सिर पर पानी का गैलन लेकर न ढोना पड़े. अब देखना ये है कि ये योजना सरकार कब तक पूरा कराती है ताकि लोगों को गर्मियों में पानी ढोने से इजात मिल सके.
रिपोर्ट : गोपी कुमार सिंह
HIGHLIGHTS
- पानी के लिए हाहाकार
- भीषण गर्मी से सूख रहे कुएं और पोखर
- दूर-दराज से पानी ढोने को मजबूर महिलाएं
- मटमैला पानी पीकर प्यास बुझा रहे लोग
Source : News State Bihar Jharkhand