पूरे देश में चुनावी तैयारियां जोरों पर है. सियासतदानों के दौरे और कार्यक्रमों का दौर शुरू हो गया है. सभी दल अपनी-अपनी उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने की जद्दोजहद में लगे हैं, लेकिन चुनावी चकाचौंध के बीच नेताओं को धरालत की सच्चाई, नेताओं के दावे और वादे से कोई वास्ता नहीं रखती. तस्वीरें बोकारो के चंदनकियारी की है, जहां सरदाहा पंचायत के पैदाडीह गांव के लोग आज तक विकास की बाट जोह रहे हैं. इस पंचायत की आबादी 6 हजार के करीब है, लेकिन यहां विकास के नाम पर सिर्फ झूठे वादे और खोखले दावे हैं. गांव तक पहुंचने के लिए बेहतर सड़क की सुविधा तक नहीं है. गांव में भी ना सड़क है, ना पानी और ही बिजली की व्यवस्था. महिलाओं को कई किलोमीटर पानी भरने के लिए पैदल जाना पड़ता है. गांव में मात्र एक चापाकल है, वो भी कभी-कभी पानी देता है.
विकास की बाट जोहते लोग
यहां स्कूल और स्वास्थ्य भी भगवान भरोसे है. छात्र 15 किलोमीटर दूर साइकिल चलाकर स्कूल जाते हैं. स्कूल जाने से दो घंटे पहले ही उन्हें घर से निकलना पड़ता है. बरसात के दिनों में तो साइकिल चलाना भी आफत बन जाता है क्योंकि पक्की सड़क ना होने से पूरा रास्ता दलदल में तब्दील हो जाता है. स्वास्थ्य व्यवस्था की बात करें तो यहां आस-पास कोई उप स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है. दिन हो या रात हो लोगों को 15 किलोमीटर दूर स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है. अगर रात में किसी की तबीयत खराब हो जाती है, तो एंबुलेंस भी गांव तक नहीं पहुंचती.
ना सड़क, ना पानी... मुश्किल में जिंदगानी
ग्रामीणों की मानें तो चंदनकियारी के विधायक हो या फिर सांसद हो. किसी ने भी आज तक उनकी सुध नहीं ली है. एक तरफ जहां देश में विकास और ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की बातें होती हैं, तो वहीं दूसरी ओर आज भी ऐसे गांव हैं, जहां लोगों को सड़क, पानी और स्वास्थ्य व्यवस्था की भी सुविधा नहीं मिलती. तो ये राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है. जरूरत है कि जनप्रतिनिधि सिर्फ वोट मांगने के लिए ही ना जाए बल्कि चुनाव जीतने के बाद अपनी जिम्मेदारी भी निभाएं.
HIGHLIGHTS
- ना सड़क, ना पानी... मुश्किल में जिंदगानी
- गांव में ना स्कूल... ना स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा
- विकास के नाम पर मिला सिर्फ आश्वासन
Source : News State Bihar Jharkhand