सीएम सोरेन के गृहनगर में नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. शिक्षा विभाग की लापरवाही से मासूमों का भविष्य अधर में लटका है, लेकिन समाधान के लिए कोई पहल नहीं का जा रही है. कोरोना, किसी के लिए मुसीबत बनकर आया तो किसी के लिए अवसर बनकर. अवसर साहिबगंज के तालझारी में उन शिक्षकों के लिए जो बड़े मौज से घर में आराम फरमा रहे हैं. जिले के सुदूर इलाके में बसे गांव के बच्चे दो साल से स्कूल के दहलीज तक नहीं पहुंचे हैं. इनमें इन बच्चों की कोई गलती नहीं, गलती उन टीचरों की है जो दो साल से घर में मौज काट रहे हैं.
2 साल से स्कूल बंद है. शिक्षकों को वेतन भेजे जा रहे हैं, लेकिन विभाग को इसकी खबर नहीं कि बच्चे दो साल से स्कूल गये ही नहीं. वो भी सीएम सोरेने के गृहनगर साहिबगंज में. हालांकि खबर दिखाये जाने के बाद जिला प्रशासन जागा है. डीसी आश्वासन दे रहे हैं कि जल्द स्कुल खुलेंगे और दोषियों पर कार्रवाई होगी. बताया जा रहा है कि विद्यालय में एक पदस्थापित टीचर है, जिसका नाम मोहम्मद अनवर अंसारी है. ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि बीते दो वर्षों से विद्यालय बंद होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई. साथ ही साथ एमडी एम और किताब एवं यूनिफार्म का पैसों का भी बंदर बांट किया गया है. इसका जिम्मेवार कौन? ऐसे में बच्चों की भविष्य उज्जवल कैसे होगी?
ये नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ है और ये खिलवाड़ हो रहा है शिक्षा विभाग के चंद अधिकारियों की लापगरवाही से. जरूरत है कि स्कूल जल्द से जल्द खुलवाएं जाये. साथ ही ड्रेस, मिड डे मील की राशि में जो बंदरबांट हुआ है. उसकी भी जांच हो और जो भी इसमें जिम्मेदार हैं उनपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए.
रिपोर्ट : गोविन्द ठाकुर
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HIGHLIGHTS
.दो साल से बंद उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय
.कोरोना के समय से स्कूल में ताला
.बच्चे दो साल से नहीं गये स्कूल
.टीचरों ने भी नहीं खोला स्कूल का ताला
.स्कूल के शिक्षकों को मिल रहा वेतन
Source : News State Bihar Jharkhand