2024 चुनाव से ठीक पहले लोकसभा में 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया. आधी आबादी के लिए लोकसभा और विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान कर दिया गया. यानी अब लोकसभा में 33 फीसदी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. इसी तरह विधानसभाओं में भी 33 फीसदी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. हालांकि आरक्षण का ये प्रावधान कुल 15 साल के लिए है. 15 साल के बाद संसद के पास आरक्षण अवधि को बढ़ाने का अधिकार है. आरक्षण के बाद अब लोकसभा में महिलाओं के लिए 181 सीट रिजर्व होंगी. 27 साल पहले 1996 में पहली बार ये बिल सदन में पेश किया गया था.
नारी शक्ति वंदन विधेयक पर सियासत शुरू
एक तरफ जहां केंद्र के फैसले से महिलाओं में उत्साह है, तो दूसरी ओर झारखंड में अब इसको लेकर भी सियासत तेज हो गई है. जहां एक तरफ कांग्रेस ने बिल का स्वागत तो जरूर किया, लेकिन इसे बीजेपी का राजनीतिक कदम बता दिया. वहीं, RJD का कहना है कि अगर महिलाओं के आरक्षण में दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक को स्थान नहीं मिला तो ये उनके साथ अन्याय होगा. JMM ने तो सीधे केंद्र पर निशाना साधते हुए इसे बीजेपी का चुनावी स्टंट बता दिया.
नई संसद भवन ने रचा इतिहास
महिला आरक्षण बिल का सियासी असर जो भी है, लेकिन नई संसद भवन से इतिहास रच दिया गया है. भविष्य के उभरते भारत की नींव रख दी गई है. सत्ता में जो भी आए, देश की सियासत बदलनी तय है. महिला आरक्षण बिल पर विपक्ष भले ही बीजेपी को आड़े हाथ ले रही है और इसे चुनावी स्टंट करार दे रही है. बीजेपी का कहना है कि पार्टी शुरू से ही महिला आरक्षण बिल के समर्थन में रही है, तो वहीं NDA सहयोगी AJSU भी इसे ऐतिहासिक घटना बता रही है. महिला आरक्षण बिल का जेएमएम सांसद महुआ माजी ने समर्थन किया है.उन्होंने कहा कि वो आदिवासी क्षेत्र से आती हैं. इसलिए इसमें गरीब, वंचित और शोषित महिलाओं पर खासा ध्यान देने की जरूरत हैं.
HIGHLIGHTS
- महिला आरक्षण बिल पर सियासत
- नई संसद भवन ने रचा इतिहास
- AJSU भी बताया ऐतिहासिक
Source : News State Bihar Jharkhand