इंडिया जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा. संविधान के अनुच्छेद-1 में कुछ इसी तरह देश के नाम का जिक्र है, जहां देश के लिए इंडिया और भारत दोनों नामों का इस्तेमाल किया गया है. अनुच्छेद-1 ऐसा अकेला अनुच्छेद है, जिसमें लिखा गया है कि देश को आधिकारिक तौर पर क्या बुलाया जा सकता है. जिसकी वजह से हिंदी में देश को 'भारत गणराज्य' और अंग्रेजी में 'Republic of India' लिखा जाता है. संविधान में साफ-साफ नाम के जिक्र के बाद भी देश में सियासी भूचाल आया है. इस भूचाल की वजह है सरकारी निमंत्रण पत्र पर देश का नाम भारत लिखना. मंगलवार को राष्ट्रपति भवन की ओर से G-20 के लिए जारी निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया था. इसके बाद सियासी घमासान थमा भी नहीं कि भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इंडोनेशिया यात्रा को लेकर आधिकारिक जानकारी साझा की.
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इसमें उन्हें 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा गया. फिर क्या था. दिल्ली से शुरू हुआ ये राजनीति संग्राम झारखंड तक पहुंच गया. और शुरू हुआ बयानबाजी का दौरा. जहां JMM ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी इंडिया गठबंधन से इतना डर जाएगी. इसका अंदाजा नहीं था. JMM ने निशाना साधा तो बीजेपी ने भी पलटवार किया. जहां बीजेपी सांसद आदित्य साहू ने JMM के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन में कौन अच्छे लोग हैं. जिससे एनडीए डर जायेगा. बीजेपी ने इंडिया गठबंधन पर जनता की संपत्ति को लूटने का आरोप भी लगाया. बयानबाजी के इतर सवाल उठता है कि आखिर अचानक देश के नाम को बदलने की चर्चा कैसे होने लगी. दरअसल, केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है.
कयास लगाए जा रहे हैं कि विशेष सत्र में सरकार 'इंडिया' शब्द हटाने का प्रस्ताव पेश कर सकती है.
अगर ऐसा हुआ तो 74 साल बाद दोबारा संसद में देश के नाम पर चर्चा होगी.
इससे पहले 18 सितंबर 1949 को संविधान सभा की बैठक के दौरान राष्ट्र के नामकरण पर सभा के सदस्यों ने चर्चा की थी.
हरि विष्णु कामत देश का नाम भारत करने की.
इस दौरान सभा के सदस्यों की तरफ से देश के लिए अल-अलग नामों के सुझाव आए.
इस बहस के बीच ऐसा नाम रखने पर सहमति बनी जो विदेशी रिश्ते जोड़ने के साथ पूरे देश को एक सूत्र में पिरोए.
इसलिए इंडिया यानी भारत नाम देते हुए संविधान के आर्टिकल-1 में नाम दर्ज कर दिया गया.
जिस मुद्दे पर 74 साल पहले बहस हुई. आज एक बार फिर वही मुद्दा दोहराया जा रहा है. इसकी वजह चाहे जो भी हो, लेकिन सवाल उठता है कि क्या देश का नाम बदलने के पीछे कोई औचित्य है. जबकि आजादी के बाद देशवासियों ने संविधान को अपनाने के साथ-साथ इंडिया नाम को भी अपनाया था. सियासतदानों को फिलहाल इसपर सियासी रोटियां सेंकने का मौका मिल गया है. अब देखना ये होगा कि देश के नाम पर शुरू सियासी तूफान कहां जाकर थमता है.
HIGHLIGHTS
- भारत के नाम पर तेज हुई सियासत
- JMM और कांग्रेस के निशाने पर केंद्र सरकार
- देश के नाम पर क्यों छिड़ी 'रार'?
Source : News State Bihar Jharkhand