मां रक्षा काली धावम एनएस लोदना 12 नंबर में दशकों से होने वाली मां रक्षा काली की 97 वार्षिक महोत्सव पूजा 20 सितंबर को होगी. पूजा की तैयारियां जोरशोर से चल रही है. यहां काली पूजा के प्रति कोल अधिकारियों, कोलकर्मियों व कोयलांचल के लोगों की अपार आस्था है. कोयला खदानों की धरती झरिया में प्रकृति के विरुद्ध खून, पसीना एक कर श्रमिक कोयले की निकासी करते हैं. हर समय मजदूरों की जान सांसत में होती है. खदानों की सुरक्षा का भार मजदूर मां की पूजा-अर्चना कर उनके ऊपर सौंप देते हैं. खदानों की सुरक्षा के लिए ही मजदूर हर वर्ष धूमधाम से मां रक्षा काली की पूजा करते हैं. पूजा की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां सभी संप्रदाय के लोग पूजा में सहयोग करते हैं.
मां रक्षा काली धाम के सचिव चंद्रिका राय ने बताया कि खदानों की सुरक्षा के लिए ही मजदूर हर वर्ष धूमधाम से मां रक्षा काली की पूजा करते हैं. मां रक्षा काली की पूजा सूर्यास्त के बाद शुरू होती है. पूजा रात भर चलती है, पूजा की खास बात यह है कि सूर्य अस्त के बाद मां की प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जाता है. वहीं दूसरे दिन सूर्योदय के पहले ही प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है.
मां रक्षा काली मंदिर के पास इस अवसर पर भव्य मेला भी लगता है. तारामाची, ब्रेक डांस समेत बच्चों के लिए कई तरह के झूले, खिलौने व मिठाई की दुकानें भी सजती हैं. इस अनुष्ठान में बीसीसीएल के सीएमडी, निदेशक व अधिकारी मां के दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं. झारखंड, बंगाल, बिहार के अनेक जिलों से भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर यहां पहुंचते हैं. झरिया के सुराटांड़ बस्ती स्थित प्राचीन रक्षा काली मंदिर में भी मां काली की पूजा मनोज विश्वकर्मा की ओर से इसी दिन की जाती है. पूजा व मेला में आयोजन समिति के साथ लोदना ओपी पुलिस समेत कई थानों की पुलिस मुस्तैद रहती है.
रिपोर्टर- नीरज कुमार
Source : News Nation Bureau