झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड की हेमंत सरकार को नियोजन नीति 2021 के मामले में तगड़ा झटका देते हुए सरकार द्वारा बनाई गई नीति को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया है. साथ ही नीति के तहत नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन को भी रद्द करने का आदेश देते हुए फिर से नया विज्ञापन निकालने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में झारखंड में 13,968 पदों के लिए होने वाली नियुक्ति परीक्षाओं को रद्द कर दी है और अब नए नियमों के तहत दूसरे राज्यों से 10वीं और 12वीं पास करने वाले सामान्य वर्ग के युवा भी अब थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी हेतु पात्र माने जाएंगे.
बता दें कि अभी झारखंड में लगभग 5 लाख 33 हजार पद स्वीकृत है और सिर्फ 1.83 लाख कर्मचारी ही वर्तमान में कार्यरत हैं और इस तह से साढ़े तीन लाख से ज्यादा पद खाली हैं. सबसे ज्यादा 1.40 लाख पद प्राथमिक शिक्षा विभाग, 43 हजार पद माध्यमिक शिक्षा विभाग, 63 हजार गृह विभाग और 14हजार से ज्यादा पद स्वास्थ्य महकमे में खाली है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस नीति में झारखंड से 10वीं 12वीं पास करने की बाध्यता सिर्फ सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए है जबकि आरक्षित श्रेणी को इससे बाहर रखा गया है जो कि संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार का खिलाफ है.
बताते चलें कि झारखंड सरकार ने क्षेत्रीय भाषा से हिंदी को हटाकर उर्दू को शामिल कर लिया है जबकि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम में ही पढ़ाई होती है. कोर्ट ने कहा है कि सर्वाधिक लोगों की भाषा हिंदी है ऐसा करने का कोई आधार भी नहीं बताया है ये नियम एक खास वर्ग के लिए बनाया गया है, इस कारण नियुक्ति नियमावली 2021 को निरस्त किया जाता है.
HIGHLIGHTS
- झारखंड सरकार को तगड़ा झटका
- हाईकोर्ट ने नियुक्ति नियमावली 2021 को किया रद्द
Source : Shailendra Kumar Shukla