झारखंड के संथाल परगना में जन सांख्यिकीय बदलाव को लेकर चल रहे विवाद के बीच एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासी परिवारों को कर्ज में फंसा रहे हैं और फिर कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उनकी बेटियों की शादी कर रहे हैं. यह रिपोर्ट अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य आशा लकड़ा द्वारा राष्ट्रपति, झारखंड के राज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्री को सौंपी गई थी, यह आयोग के सदस्यों द्वारा संथाल परगना के छह जिलों में किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है.रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेशी आदिवासी महिलाओं से शादी करते हैं और फिर उन्हें राजनीति में लाकर सत्ता पर कब्जा कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान बनाने की आड़ में वे जमीन पर कब्जा कर राशन कार्ड और आधार कार्ड हासिल कर लेते हैं. जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है.
32 पन्नों की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
32 पन्नों की रिपोर्ट संथाल परगना की जनसांख्यिकी में बड़े पैमाने पर बदलाव के बारे में बताता है क्योंकि 1971 के बाद साहिबगंज और अन्य जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठिए तेजी से बढ़ रहे हैं. एसटी आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि “घुसपैठियों के असल नंबर का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि बांग्लादेशी घुसपैठियों के आंकड़े बदलते रहते हैं. लेकिन जांच के दौरान ऐसे सबूत मिले हैं जो बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठ की पुष्टि करते हैं.
भुगतान ना करने पर बेटियों से शादी
आशा लकड़ा ने कहा “साहिबगंज में आदिवासी परिवारों को 5000 रुपये का ऋण देकर उन्हें कर्ज के जाल में फंसाया जा रहा है. जिससे कुछ ही महीनों में धीरे-धीरे 50,000 रुपये से अधिक का कर्ज हो जाता है. भुगतान ना करने पर बांग्लादेशी कर्ज के चलते अपनी बेटियों से शादी करने की मांग करते हैं. इसके बाद उन्होंने बताया कि वे नोटरी से प्राप्त दान पत्रों के माध्यम से आदिवासी जमीन पर भी कब्जा कर लेते है. संथाल परगना टेनेंसी (एसपीटी) अधिनियम के तहत, आदिवासी अपनी जमीन किसी को नहीं बेच सकते हैं और इसलिए घुसपैठियों ने उनकी जमीन हड़पने का एक नया तरीका ढूंढ लिया है. घुसपैठिए फर्जी दस्तावेज तैयार करके आदिवासियों से दान पत्र प्राप्त करते हैं और फिर जमीन दान कर देते हैं. जिसका उपयोग अवैध काम के लिए किया जाता है.
बांग्लादेशी घुसपैठियों ने बसाया देश
लकड़ा के मुताबिक, आदिवासी परिवार को इसके एवज में पैसे की पेशकश भी की जाती है. “बांग्लादेशी पहले आदिवासी महिलाओं से शादी करते हैं और फिर उन्हें राजनीति में लाते हैं और उन्हें ग्राम प्रधान बनाने की आड़ में अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए सत्ता पर कब्ज़ा कर लेते हैं. वे आदिवासी जमीन पर कब्जा करके राशन कार्ड और आधार कार्ड प्राप्त करते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. उन्होंने कहा, संथाल परगना में 'जमाईपाड़ा' (जमाईटोला) जैसी कई ऐसी छोटी-छोटी बस्तियां या समूह हैं, जहां बांग्लादेशी घुसपैठियों ने आदिवासी लड़कियों से शादी करके गांव बसा लिए हैं.
भूमि-जिहाद के जरिए फंसाया
लाकड़ा ने कहा, "इसके अलावा, अगर किसी पहाड़िया या आदिवासी परिवार के पास अधिक जमीन और संपत्ति है, तो बांग्लादेशी घुसपैठिए लव जिहाद के जरिए लड़कियों से शादी करके 'भूमि-जिहाद' के जरिए उन्हें फंसा रहे हैं.इसके बाद उन्होंने बताया कि एट्रोसिटी एक्ट लागू होने के बावजूद एसटी समुदाय के लोगों को प्रावधानों के तहत अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि जब एसटी समुदाय के लोग एट्रोसिटी एक्ट का मामला दर्ज कराते हैं तो प्रशासन द्वारा मामले को संज्ञान में नहीं लिया जाता है.