झारखंड में एक बार फिर UCC यानी कॉमन सिविल कोड को लेकर आदिवासी विरोध का स्वर उठा रहे हैं. इसी कड़ी में खूंटी के आखिरी छोर में बसे सारजमडीह गांव में ग्रामीणों की बैठक हुई, जिसमें यूसीसी के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर चर्चा के साथ-साथ राज्य और केन्द्र सरकार के खिलाफ आंदोलन की रूप रेखा तैयार की गई. आदिवासीयों का कहना है कि उनके लिये संविधान में जो कानून बनाये गये हैं, उसको ही सरकार लागू नहीं कर पा रही है. ऊपर से अब नया कानून लाकर उन्हें और प्रताड़ित किया जाएगा. आदिवासियों ने कहा कि सरकार यूसीसी सबपर थोपना चाहती है, लेकिन वो इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे. झारखंड के खूंटी जिले के सुदुर क्षेत्रों तक यूसीसी के खिलाफ विरोध की चिंगारी में सुलग रहा है.
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UCC के खिलाफ फिर उठी 'चिंगारी'
शहर और मुख्यालय से 60 किमी दूर आखिरी छोर में बसे सारजमडीह गांव दर्जन भर से ज्यादा गांवों के ग्रामीणों की बैठक हुई. जिसमें यूसीसी के खिलाफ आवाज बुलंद करने की चर्चा के साथ-साथ राज्य और केन्द्र सरकार के खिलाफ बृहद पैमाने पर आंदोलन की रूप रेखा के साथ रणनीति बनायी गयी. आदिवासियों की मांग है कि उनके लिए संविधान में जो कानून बनाये गये हैं, उसको ही सरकार लागू नहीं कर पा रही है. उनको उनके अधिकार से अभी तक वंचित रखा गया है और अब ये नया कानून लाकर उन्हें ओर प्रताड़ित और शोषण किया जाएगा. उनकी परंपरा उनकी रूढ़ीवादी समाज सबकुछ खत्म करने की सरकार साजिश कर रही है.
UCC के खिलाफ आंदोलन पर चर्चा
उनकी मांगें हैं कि आदिवासी बहुल पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र, जिसमें संविधान में कानून है कि आदिवासियों के जीवनयापन, उनकी परंपरा और उनके इजाजत व परामर्श के बिना उन पर कोई भी कानून लागु नहीं होगा. फिर भी सरकार नया कानून लेकर आ रही है. पहले आर्थिक समानता, धार्मिक समानता, शिक्षा की समानता का कानून लेकर आए और सरकार यूसीसी थोप देने से आदिवासी स्वीकार नहीं करेंगे. इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.
UCC के खिलाफ आंदोलन पर चर्चा
बैठक की अगुवाई कर रहे पुर्ण चन्द्र मुंडा ने कहा कि यूसीसी के विरोध में अभी तो पहला बैठक किया गया है. इसको लेकर गांव-गांव बैठक की जाएगी. ग्राम सभा में चर्चा होगी. लोगों को एकजुट करने का काम चल रहा है और बहुत जल्द बड़े पैमाने पर लोग सड़कों पर उतरेंगे. सरकार जो नया कानून ला रही है, उसमें गरीबों का शोषण होगा. अभी समान शिक्षा नहीं है ,आर्थिक समानता नहीं है. इसका विरोध जारी रहेगा. फिर भी सरकार जबरन थोपेगी, तो सड़क पर उतरेंगे और कांची नदी का पानी बंद कर देंगे. समाज के अनुरूप कानून बनाना चाहिए. संविधान के अनुसार पांचवी अनुसूची क्षेत्र के आदिवासी अपने परंपरा के अनुसार ही कानून बनाकर रहेंगे.
HIGHLIGHTS
- UCC के खिलाफ फिर उठी 'चिंगारी'
- आदिवासियों ने की अहम बैठक
- UCC के खिलाफ आंदोलन पर चर्चा
Source : News State Bihar Jharkhand