राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज यानी गुरुवार को कहा कि उनको देश के भविष्य को लेकर कभी कोई चिंता नहीं थी, क्योंकि कई लोग देश के विकास के लिए सामूहिक रूप से काम पर लगे हैं. झारखंड के गुमला में एक एनजीओ विकास भारती की तरफ से आयोजित विलेज लेवल की मीटिंग को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि उनको देश के भविष्य को लेकर कोई आशंका नहीं है, लेकिन जो भी हो वो अच्छा होना चाहिए. इसके लिए सभी लोग मिलकर काम भी कर रहे हैं. आरआरएस चीफ ने आगे कहा कि कई लोग बिना किसी श्रेय या प्रसिद्धि की इच्छा रखे देश के कल्याण के लिए काम में जुटे हैं.
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मोहन भागवत ने कहा कि हमारी पूजा शैलियां और रीति रिवाज अलग-अलग हैं. क्योंकि हमारे यहां 33 करोड़ देवी-देवता हैं. इसके साथ ही हमारे देश में 3800 से ज्यादा भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं. यहां तक कि खान-पान की आदतें भी एक-दूसरे से भिन्न हैं. बावजूद इसके हम सबका मन एक है और ऐसा दूसरे देशों में देखने को नहीं मिलता. आरआरएस प्रमुख ने आगे कहा कि प्रगति का कभी कोई अंत नहीं होता. लक्ष्य के बाद भी कुछ करना होता है. जब हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं तो हम देखते हैं कि अभी भी करने को बहुत कुछ शेष है. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति सुपरमैन बनना चाहता है, फिर देवता और फिर भगवान. भागवत ने कहा कि आंतरिक और बाह्य दोनों ही तरह के विकास का कोई अंत नहीं है. यह एक सतत प्रक्रिया है. बहुत कुछ किया जा चुका है और बहुत कुछ किया जाना बाकी है.
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मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद पूरी दुनिया को खबर हो गई कि भारत एक ऐसा देश है, जिसके पास शांति और खुशी का ब्लूप्रिंट है. उन्होंने कहा कि सनातन मानव जाति के कल्याण में यकीन करते हैं.
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Source : News Nation Bureau