गढ़वा जिले में सरकारी स्कूल बनाने को लेकर चिन्हित जमीन पर अब विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल स्कूल के लिए जिस जमीन को चुना गया है उसको लेकर ग्रामीणों का दावा है कि ये जमीन ग्रामीणों की है. सरकार के फैसले के विरोध में गांव वालों ने बैठक भी बुलाई. जिसमें पूर्व बीजेपी विधायक भी शामिल हुए. स्कूल निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है. जिस जमीन पर स्कूल का निर्माण होना है ग्रामीण उसे निजी जमीन बता रहे हैं. जबकि सरकारी अधिकारियों का कहना है कि चिन्हित जमीन सरकार की है.
आपको बता दें कि सीएम हेमंत की कैबिनेट ने गढ़वा जिले में दो स्कूल बनाने की स्वीकृति दी थी. इन स्कूलों में पहला अल्पसंख्यक विद्यालय और दूसरा पिछड़ावर्ग के लिए आवासीय विद्यालय शामिल हैं. स्कूलों के निर्माण के लिए जमीन भी चिन्हित की जा चुकी है, लेकिन पिछड़ा वर्ग आवासीय स्कूल की जमीन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल स्कूल निर्माण के लिए मेराल प्रखण्ड के ओखड़गड़ा पंचायत में 50 एकड़ की भूमि चिन्हित की गई है, लेकिन ग्रामीणों का दावा है कि ये जमीन उनकी है.
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार स्कूल निर्माण के नाम पर उनकी जमीन उनसे छीन रही है. लोगों का दावा है कि लगभग 50 लोगों के लिए इसी जमीन पर पीएम आवास को स्वीकृति मिली है. अगर जमीन नहीं रहती तो उन्हें घर नहीं मिल पाएगा. वहीं, गांव वालों ने मामले को लेकर एक बैठक का आयोजन किया. बैठक में 200 से भी ज्यादा लोग शामिल हुए. गांव वालों के बुलावे पर बीजेपी के पूर्व विधायक सत्येन्द्रनाथ तिवारी भी बैठक में पहुंचे. जहां उन्होंने सरकार पर गरीबों का घर उजाड़ने का आरोप लगाया.
बहरहाल, मामले को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में जरूरत है कि शासन और प्रशासन के स्तर पर मामले में जांच की जाए ताकि ग्रामीणों के साथ न्याय हो सके.
रिपोर्ट : धर्मेन्द्र कुमार
Source : News Nation Bureau