साहिबगंज जिले में फिर एक बार सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम ने डीसी रामनिवास यादव को कठघड़े में खड़ा कर दिया है. दरअसल, मृतिका के परिजनों का कहना है कि डीसी साहब तो हमारे लिए ईश्वर के वरदान थे, लेकिन देख- रेख करने वाले लापरवाह स्वास्थ्य कर्मियों ने मेरी मम्मी की जान ले ली. जब इस बात की जानकारी डीसी रामनिवास यादव को हुई तो उन्होंने हर समय पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा रहने और हरसंभव मदद पहुंचाने का भरोसा दिया है. भारत देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पूरे भारतवर्ष में चलाये जा रहे प्रधानमंत्री टीवी मुक्त अभियान के तहत साहिबगंज के तमाम टीवी मरीजों को कई पदाधिकारियों ने गोद लिया था. जिले के बोरियो प्रखंड पर स्तिथ गोपीकंदर पंचायत के देवपहाड़ गांव के निवासी बद्री पहाड़िया की पीड़ित पत्नी सुरीली पहाड़िन को डीसी राम निवास यादव ने करीब दो महीने पहले ही गोद लिया था.
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साहिबगंज डीसी ने लिया था टीवी पीड़ित महिला को गोद
वहीं, गोद लेने के बाद समय-समय पर डीसी रामनिवास यादव उनसे मुलाकात किया करते रहते थे. इसके आलावे डीसी के द्वारा पीड़ित महिला को दाल, चावल और फल सहित कई अन्य पौष्टिक खाद सामग्री व दवाइयां समय-समय पर उपलब्ध करवाते रहते थे. वह कहते ना कि शायद ईश्वर को ही यह मंजूर नहीं था, यह तो फिर स्वास्थ्य सिस्टम की चरमराती व्यवस्थाओं की लापरवाही ने उक्त महिला की जान ले लिया है. हालांकि परिजनों ने डीसी साहब को ईश्वर का वरदान मानते हुए स्वास्थयकर्मियों पर कई सारे सवाल उठाया है.
मृतक महिला के चार छोटे-छोटे बच्चे
आगे आपको बता दें कि जब न्यूज़ स्टेट बिहार झारखंड की टीम इस खबर की पड़ताल करने देव पहाड़ पहुंचाकर और पीड़ित परिवार से घटना की पूरी जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि टीवी बीमारी से पीड़ित रोगी बीते-दिनों 23 फरवरी को सुबह करीब 3:00 बजे उनकी मृत्यु हो गई. वहीं, मृतक महिला अपने पीछे चार छोटे-छोटे मासूम बच्चे को छोड़ गई. आगे जब इस घटना को लेकर स्थानीय ग्रामीण जावरा पहाड़िया और गुरुदेव पहाड़िया से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मृतिका का पति शराबी है. वह दिन भर शराब पिकर घूमते रहता है और घर में मासूम बच्चों की देख-रेख उनकी दादी मां कर रही है.
डीसी ने दिलाया हरसंभव मदद का भरोसा
दादी मां की भी आर्थिक हालत बहुत खराब है. दादी को सिर्फ सरकारी कंट्रोल चावल और पेंशन ही मिलता है. इससे चार-चार मासूम बच्चों का भरण-पोषण करना भला कैसे संभव हो सकता है, जबकि इसमें दो बच्चे बहुत ही छोटे हैं. परिजन बताते हैं कि उक्त महिला की मृत्यु के उपरांत उसे देखने स्वास्थ्य विभाग से कुछ लोग आए थे, लेकिन वह सिर्फ देख कर चले गए थे. किसी प्रकार की कोई दवाई और ना ही खाने-पीने का सामग्री दिया. यहां सवाल यह उठता है कि यदि भारत सरकार ऐसे परिवारों को गोद लेती है तो इन लोगों का जान कैसे जा रही है. हालांकि जब इस घटना को लेकर डीसी रामनिवास यादव से पूछा गया तो उन्होंने हर संभव पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा होने का भरोसा दिलाया है.
HIGHLIGHTS
- साहिबगंज डीसी ने लिया था टीवी पीड़ित महिला को गोद
- बावजूद इसके महिला की इलाज के दौरान हुई मौत
- परिजनों ने स्वास्थ्य कर्मियों पर लगाई लापरवाही का आरोप
Source : News State Bihar Jharkhand