साहिबगंज में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का दंश छात्र झेलने को मजबूर हैं. जहां उधवा प्रखंड के सरकारी स्कूल में छात्र बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. झारखंड में बड़े-बड़े मंचों से वर्ल्ड क्लास सुविधाओं वाले स्कूलों की बात की जाती है और धरातल पर वर्ल्ड क्लास तो दूर की बात है मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती. साहिबगंज में सरकारी स्कूलों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. जिले के उधवा प्रखंड के सरकारी स्कूल में तो छात्र बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. आलम ये है कि इस भीषण गर्मी में भी छात्रों को दो बूंद पानी तक नसीब नहीं होता.
ना क्लास की सुविधा... ना पानी का इंतजाम
ये स्कूल पतोड़ा पंचायत का एकमात्र मध्य विद्यालय है. जाहिर है इस पूरे पंचायत के छात्र इसी स्कूल पर निर्भर होंगे. बावजूद यहां सुविधाओं के नाम पर छात्रों को आश्वासन का लॉलीपॉप थमाया जाता है. शासन-प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कई सालों से इस स्कूल की बिल्डिंग जर्जर है और पानी की समस्या तो जी का जंजाल बन गई है, लेकिन AC वाले ठंडे कमरे में बैठने वाले अधिकारियों को ये दिखाई नहीं दे रहा है. यहां आने वाले बच्चों को पढ़ने के लिए हर दिन शासन-प्रशासन की लापरवाही का दंश झेलना पड़ता है.
ऐसे पढ़ेगा तो कैसे आगे बढ़ेगा झारखंड?
हालांकि इस स्कूल में परेशानी सिर्फ पानी नहीं है. यहां छात्रों के लिए कमरे भी नहीं है. जिसके चलते छात्र एक साथ जैसे तैसे क्लासरूम में पढ़ते हैं. कुछ छात्रों को जमीन पर तो कुछ को गैलरी में बिठाकर पढ़ाना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि इन समस्याओं की जानकारी विभागीय अधिकारियों को नहीं है. बार-बार लगातार उन्हें इसकी जानकारी दी गई. असुविधाओं को लेकर शिकायत की गई, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा. झारखंड की लगभग 40 फीसदी आबादी आज भी गरीब है और इन गरीब परिवारों के बच्चों के लिए सरकारी स्कूल ही शिक्षा का सहारा होता है, लेकिन सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को देख मन में सिर्फ यही सवाल आता है कि अगर ऐसे पढ़ेगा झारखंड तो कैसे आगे बढ़ेगा झारखंड.
रिपोर्ट : गोविंद ठाकुर
HIGHLIGHTS
- देश के 'भविष्य' से खिलवाड़ कब तक?
- बुनियादी सुविधाओं से महरूम छात्र
- ना क्लास की सुविधा... ना पानी का इंतजाम
- ऐसे पढ़ेगा तो कैसे आगे बढ़ेगा झारखंड?
Source : News State Bihar Jharkhand