त्योहारी सीजन के आते ही मूर्तिकारों का उत्साह बढ़ जाता है. क्योंकि त्योहारों के समय उनकी मूर्तियों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इस बार हालात अलग है. दरअसल मूर्तिकार भी इस बार महंगाई की मार झेलने को मजबूर हैं. मूर्ति बनाने में काम आने वाले सामानों की कीमत आसमान छू रही है. जिसके चलते मूर्तिकारों को मुनाफा नहीं मिल पा रहा है. कई दिनों की मशक्कत और घंटों की मेहनत, छोटी से छोटी बारीकी को ध्यान में रखकर दिन रात एक कर ये मूर्तिकार मूर्ति बनाते हैं, लेकिन इनकी खूबसूरत कारीगरी महंगाई की मार झेल रही है.
दुर्गापूजा का त्योहार जल्द आने वाला है. वैसे तो दुर्गा पूजा हो या काली पूजा, मूर्तिकारों के बीच इन त्योहारों को लेकर खासा उत्साह होता है क्योंकि त्योहारों के बीच उनकी मूर्तियों की मांग बढ़ जाती है. इस बार हालात थोड़े अलग है. क्योंकि महंगाई के चलते मूर्तिकार को नुकसान का डर सताने लगा है.
झरिया शहर के फुलारीबाग रोड के पास रहने वाले मूर्तिकार मंटू पाल पिछले 50 सालों से मूर्ति निर्माण का काम कर रहे हैं, लेकिन आज हालात ऐसे हो गए हैं कि वो दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से जुटा पा रहे हैं. मंटु का कहना है कि महंगाई के चलते मूर्ति निर्माण में काम आने वाले सामानों को खरीदना मुश्किल हो गया है. कारीगरों का मेहनताना भी महंगा हुआ है आखिर ऐसे समय मे कैसे मुनाफा कमाया जाए ये समझ से परे है.
हालांकि मूर्ति निर्माण में ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा है लेकिन जो अच्छी खबर है वो ये कि मुनाफा कम होने के बाद भी युवा पीढ़ी इस कला से खुद को जोड़ रहे हैं. और कई स्थानीय युवा आज भी मूर्ति निर्माण में अपना भविष्य तलाश रहे हैं.
कोरोना काल के चलते पहले ही 2 सालों तक मूर्तिकारों और दूसरे शिल्पकारों ने आर्थिक नुकसान झेला है. ऐसे में इस बार इन्हें उम्मीद थी कि त्योहारी सीजन में इनकी अच्छी कमाई हो जाएगी, लेकिन महंगाई ने एक बार फिर मूर्तिकारों के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है.
रिपोर्ट : नीरज कुमार
Source : News Nation Bureau