10 जुलाई 2013 ये वो तारीख थी जब सुप्रीम कोर्ट ने देश के माननीयों की सांसे एक तरह से रोक दी थी. दरअसल, इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4) को रद्द करने का निर्णय लिया था. ये वही धारा थी जो जनप्रतिनिधियों को अपराध में दोषी पाए जाने के बाद भी चुनाव लड़ने और उनका माननीय बनने में सहायक हुआ करती थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4) को रद्द करने के बाद ये तय हो चुका था कि 2 वर्ष से अधिक की सजा पानेवाले जनप्रतिनिधियों को दागी माना जाएगा और उनकी संसद या विधानसभा अथवा विधान परिषद की सदस्यता सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद ही खत्म हो जाएगी.
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ताजा मामले में झारखंड के रामगढ़ विधायक ममता देवी को गोलीकांड मामले में मंगलवार को कोर्ट ने सजा सुनाई. बता दें कि विधायक ममता देवी को 5 सालों की सजा सुनाई गई है. अब ममता देवी की भी विधानसभा सदस्यता यानि विधायकी रद्द हो जाएगी. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि ममता देवी के अलावा और कौन-कौन से जनप्रतिनिधियों को इस कानून का शिकार होना पड़ा है और अपनी माननीय पद से हाथ धोना पड़ा है.
1. रशीद मसूद
भ्रष्टाचार मामले में सजा होने के कारण कांग्रेस नेता रशीद मसूद की राज्यसभा सदस्यता खत्म हो गई थी. मसूद को मेडिकल भर्ती घोटाले में दिल्ली की एक अदालत ने चार साल की सजा सुनाई थी. रशीद मसूद सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्यसभा सदस्यता खोने वाले पहले नेता थे. घोटाले के समय रशीद मसूद केंद्र में स्वास्थ्य राज्य मंत्री हुआ करते थे. इस मामले में 1990-91 के शैक्षिक सत्र में केंद्रीय पूल से त्रिपुरा के लिए आवंटित सीटों पर दूसरे राज्यों के छात्रों को MBBS के प्रथम वर्ष में दाखिला दिलाकर फर्जीवाड़ा करने का उन्होंने दोषी पाया गया था. 5 अक्टूबर 2020 को रशीद मसूद की मौत हो गई थी.
2. लालू यादव
बिहार के बहुचर्चित घोटाले चारा घोटाले के कई मामलों में दोषी करार दिए गए लालू यादव को भी अपनी लोकसभा सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था. बिहार के नेताओं में लालू यादव पहले वो नेता हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4) को रद्द किए जाने के बाद अपने पद को खोना पड़ा था.
3. जगदीश शर्मा
चारा घोटाला मामले में ही दोषी करार दिए जाने के बाद जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा को भी सांसद पद से हाथ धोना पड़ा था.
4. अनिल सहनी
आरजेडी के मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधायक रहे अनिल साहनी को भी अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद अपनी विधायक पद से हाथ धोना पड़ा था. , अनिल साहनी को अवकाश और यात्रा भत्ता घोटाला मामले में दिल्ली के राऊज एवन्यू कोर्ट द्वारा दोषी पाया गया था और तीन वर्ष की सजा सुनाई गई थी. . बता दें कि जब वो राज्यसभा सांसद हुआ करते थे उसी दौरान एलटीसी घोटाला मामले में 31 अक्टूबर, 2013 में सीबीआई ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया था.
5. अनंत सिंह
मोकामा से बाहुबली विधायक रहे अनंत सिंह की भी विधानसभा सदस्यता कोर्ट द्वारा एके-47 रखने के जुर्म में दोषी करार दिए जाने के बाद रद्द हो गई थी. एमपी-एमएलए कोर्ट में अनंत सिंह को 10 साल की सजा सुनाई थी. उन्हें सजा घर से एके 47 और हैंड ग्रेनेड बरामद होने के मामले में दोषी पाए जाने पर सुनाई गई थी.
6. बंधु तिर्की
आय से अधिक संपत्ति मामले में मांडर विधायक और झारखंड कांग्रेस नेता बंधु तिर्की को सीबीआी कोर्ट ने दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी. जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई थी. बंधु तिर्की को तीन साल की सजा और 3 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के कार्यकाल में शिक्षामंत्री रह चुके बंधु तिर्की पर 6 लाख 28 हजार 698 रुपये आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप था.
HIGHLIGHTS
- SC ने रद्द की थी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4)
- कई माननीयों को धोना पड़ा है पद से हाथ
- लालू यादव, अनंत सिंह, अनिल सहनी की सदस्यता हुई रद्द
Source : Shailendra Kumar Shukla