शिबू सोरेन पूरा नहीं कर पाए ये काम, मन में रह गई एक कसक

शिबू सोरेन ने अपनी पढ़ाई छोड़कर आदिवासियों को एकजुट करने में भी अहम भूमिका निभाई थी. वैसे तो राजनीति के क्षेत्र में सोरेन ने बहुत कुछ हासिल किया, लेकिन एक कसक शायद उनके मन में अधूरी रह गई.

शिबू सोरेन ने अपनी पढ़ाई छोड़कर आदिवासियों को एकजुट करने में भी अहम भूमिका निभाई थी. वैसे तो राजनीति के क्षेत्र में सोरेन ने बहुत कुछ हासिल किया, लेकिन एक कसक शायद उनके मन में अधूरी रह गई.

author-image
Dheeraj Sharma
New Update
Shibu Soren Last Desire

Shibu Soren:झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन अब नहीं रहे. उन्होंने 81 की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. शिबू सोरेन बीते लंबे वक्त से किडनी समेत अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे. बीते एक महीने से अधिक वक्त से वह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे. यहीं पर उन्होंने 4 अगस्त की सुबह आखिरी सांस ली. शिबू सोरेन का झारखंड की राजनीति में अहम स्थान रहा. शिबू सोरेन ने 70 के दशक में ही राजनीति में एंट्री कर ली थी. हालांकि उन्होंने आदिवासियों के लिए बहुत काम किया. शिबू सोरेन ने अपनी पढ़ाई छोड़कर आदिवासियों को एकजुट करने में भी अहम भूमिका निभाई थी. वैसे तो राजनीति के क्षेत्र में सोरेन ने बहुत कुछ हासिल किया, लेकिन एक कसक शायद उनके मन में अधूरी रह गई. 

धनकटनी आंदोलन की शुरुआत

Advertisment

शिबू सोरेन के पिता की हत्या महाजनों ने कर दी थी. यही वजह थी कि उन्होंने एक आंदोलन चलाया और आदिवासियों को एकजुट किया. इस आंदोलन का नाम था धनकटनी आंदोलन. इस आंदोलन के दम पर ही शिबू सोरेन ने बिहार से झारखंड को अलग करवाने में प्रमुख रोल निभाया. पहले समाज सुधारक फिर राजनेता बने. 

केंद्रीय मंत्री के साथ 3 बार बने सीएम

शिबू सोरेन को दिशोम गुरु के नाम से भी पहचाना जाता था. दिशोम गुरु ने 1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया और इसके बाद लगातार इसे आगे बढ़ाते रहे. 8 साल की मेहनत के बाद वह पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. इसके बाद 1989 में एक बार फिर उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद 1991 में भी उन्होंने लोकसभा में जीत का परचम लहराया. 

इस तरह कुल आठ बार शिबू सोरेन लोकसभा सदस्य और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे. शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन का अंतिम चुनाव वर्ष 2019 में लड़ा था. हालांकि एक कसक या इच्छा उनके मन में अधूरी ही रह गई. 

शिबू सोरेन की कौन सी इच्छा रह गई अधूरी

बता दें कि शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन में कई चुनाव लड़े कुछ हारे और कई जीते. फिर चाहे वे लोकसभा हों या फिर विधनसभा चुनाव. दिशोम गुरु ने हर जगह दमदारी से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. लेकिन एक इच्छा उनकी अधूरी रह गई. शिबू सोरेन ने लोकसभा चुनाव तो जीते केंद्रीय मंत्री भी बने. लेकिन कभी भी बतौर केंद्रीय मंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. यही कसक उनके मन में रह गई कि चुनाव जीतने के बाद एक बार तो वह 5 साल का कार्यकाल बतौर केंद्रीय मंत्री पूरा करते.  

यह भी पढ़ें - Shibu Soren Net Worth: अपने पीछे इतनी संपत्ति छोड़ गए शिबू सोरेन, जानिए क्या है उनकी Net Worth

Jharkhand news today jharkhand-news Shibu Soren Death Shibu Soren Shibu Soren Passes Away Shibu soren news
Advertisment