सिमडेगा जिले कोलेबिरा प्रखंड के बंदर-चुआ पंचायत के पपरा पानी गांव निवासी 22 वर्षीय मृतक अशोक डांग एक आदिवासी युवक था, जो रोजी रोटी की तलाश में मुंबई गया था. जहां वह किसी दुर्घटना का शिकार हो गया, उसकी लाश उसके गांव पहुंची तो वहां के ग्रामीण में मातम छा गया. एक ओर कल सिमडेगा की बेटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार हुई और उसे कितने असहनीय दर्द झेलने पड़े. वहीं दूसरी ओर आज सिमडेगा का लाल जो रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई जैसे बड़े महानगरों में काम करने के लिए 3 साल पहले गया था. ताकि वे अपने परिजनों का भविष्य उज्जवल कर सके, लेकिन 3 साल बाद उसकी लाश उसके गांव आती है. खेल हब के रूप में जाना जाने वाला यह जिला मानव तस्करी और रोजगार के अभाव में पलायन जिला के नाम से जाना जा रहा है. जिले के आदिवासियों को रोजगार के लिए बड़े शहरों में पलायन करना पड़ता है.
ना रोजगार ना कोई मूलभूत सुविधाएं
आदिवासी महिला सेरोफिना डांग ने कहा हम लोग गंदा पानी पीने को मजबूर है. स्थानीय विधायक को कुआं मरम्मत करने के लिए कहा था पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. वहीं, दाउद केरकेट्टा का कहना है कि हम सभी बेरोजगार हैं. गरीबी में जी रहे हैं, ना पानी है, ना सड़क है, ना बिजली है. 2017 में पोल घड़ी 19 में तार खींचा गया और अभी 2023 है. पता नहीं कब लाइन चालू किया जाएगा. वहीं स्थानीय विधायक के समक्ष समस्या रखने के बावजूद भी एक बार चुनाव जीतने के बाद वे नहीं आए.
रोजी-रोटी के लिए गए शहर, वापस लौटी डेड बॉडी
बाल्सयूस डांग ने कहा कि अशोक रोजी-रोटी की तलाश में शहर गए थे. इस दरमियान वह दुर्घटना का शिकार हो गए. आज उसकी डेड बॉडी आई है. हम लोगों के पास रोजगार के साधन नहीं है, जिसके कारण यहां के आदिवासी युवा बड़े महानगरों में काम करने के लिए जाते हैं ताकि अपने बाल बच्चों का भविष्य बना सके. अगर जिले में ही काम रहता तो हम लोग परिवार के साथ यही कमाते. सरकार से यही मांग करते हैं कि मृतका के परिजनों को मुआवजा मिले और जिले के लोगों को रोजगार मिले ताकि हम बाहर ना जाए.
हालांकि ग्रामीणों के बुलावे पर स्थानीय कोलेबिरा विधायक नमन बिक्सल ने गांव पहुंचकर मृतक के परिजनों को मुआवजे का आश्वासन दिया.
HIGHLIGHTS
- रोजी-रोटी कमाने मुंबई गया आदिवासी युवक
- 3 साल बाद वापस लौटी लाश
- मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं आदिवासी
Source : News State Bihar Jharkhand