होली से पहले लोहरदगा में हर्बल गुलाल बनाये जा रहे हैं ताकि रंगों के इस उत्सव में सेहत से खिलवाड़ ना हो. होली की खुमारी छाने लगी है. रंगों के इस उत्सव में लोग अभी से ही झूमने लगे हैं. होली की तैयारियां जोरो से चल रही है और इन तैयारियों के बीच लोगों की स्वास्थ्य का भी ख्याल रखा जा रहा है. दरअसल रंगों के इस उत्सव में लोहरदगा की आदिवासी महिलाएं सेहत का भी ख्याल रख रही हैं. जिस तरह से झारखंड को प्रकृति ने नवाजा है उसका पूरा ख्याल रंगों के इस उत्सव के लिए यहां की आदिवासी महिलायें रख रही हैं.
फूलों और सब्जियां से रंग
पलाश के फूल हों या फिर हरी सब्जियां, खेत और पेड़ों से पलाश का फूल तोड़कर ये आदिवासी महिलायें गुलाल बना रही हैं ताकि कैमिकल युक्त रंग और गुलाल लगाने से होली में लोग बच सकें. पलाश के साथ-साथ पालक, चुकंदर, हल्दी समेत अन्य फल फूलों से यहां गुलाल और रंग होली के लिए बनाये जा रहे हैं. त्योहार में लोगों की सेहत के साथ-साथ जिले की आदिवासी महिलायें स्वरोजगार से भी जुड़ रही हैं.
पर्यावरण का ख्याल
होली पर सेहत के साथ-साथ पर्यावरण का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है. महिला समूह इसे ध्यान में अब रखी हैं तो जिला प्रशासन भी इनकी मदद के लिए आगे आया है. JSLPS के सीएमटी भवन में हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग लेने के बाद गुलाल बना रही महिलाओं के काम को जिला प्रशासन ने सराहा है. होली के त्योहार को देखते हुए प्रशासन ने आम लोगों से भी हर्बल गुलाल अपनाने की अपील की है. साथ ही हर्बल गुलाल को बेचने के लिए पलाश मार्ट का मंच उपलब्ध कराने की आश्वासन दिया है.
हर्बल गुलाल
पलाश के फूल और सब्जियों से बनाए गए हर्बल गुलाल में किसी भी तरह का कोई केमिकल नहीं है. होली पर ये स्किन को नुकसान नहीं पहुंचायेगा. इसलिए होली पर एक कदम आगे बढ़ाये हर्बल गुलाल के लिए ताकि आपकी सेहत का खयाल रखने वाले इन आदिवासी महिला समूहों को भी त्योहार के इस उत्सव में जीवन खुशहाल रहे.
रिपोर्ट : गौतम
HIGHLIGHTS
- फूलों और सब्जियां से रंग
- पर्यावरण का ख्याल
- हर्बल गुलाल
Source : News State Bihar Jharkhand