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झारखंड के इस गांव में ऐसा जलकुंड, एक बार स्नान से नहीं होता चर्म रोग

आपने बहुत से जलकुंड के रहस्यों के बारे में जरूर सुना होगा. कोई कुंड भविष्य में होने वाली आपदाओं का संकेत देता है तो कोई कुंड अपने श्रापित जल के लिए जाना जाता है.

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Vineeta Kumari
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झारखंड के इस गांव में ऐसा जलकुंड( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

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आपने बहुत से जलकुंड के रहस्यों के बारे में जरूर सुना होगा. कोई कुंड भविष्य में होने वाली आपदाओं का संकेत देता है तो कोई कुंड अपने श्रापित जल के लिए जाना जाता है. यूं तो झारखंड की भूमि अपने आप में प्रकृति का अनुपम उपहार है, इसे रत्न गर्भ प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है लेकिन कुछ उपहार ऐसे हैं, जिसपर से रहस्य का पर्दा आज तक नहीं हटा है. ऐसा ही एक  दलाही बुलबुला कुंड है. बोकारो जिला मुख्यालय से करीब 27 किलोमीटर दूर जरीडीह प्रखण्ड के गंजडीह गांव में, ये ऐतिहासिक धरोहर भूगर्भीय शोध स्थल दलाही बुलबुला कुंड लोगों के आस्था का केंद्र भी बना हुआ है.

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यहां ताली बजाते ही कुंड से पानी ऊपर की ओर उठने लगता है. मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से कई बीमारियां ठीक हो जाती है. वहीं कुंड के निकट एक मंदिर भी है, जहां पूजा अर्चना करने से सबकी इच्छाएं पूरी होती है. इस कुंड की खासियत यह है कि यहां सर्दी में गर्म और गर्मी में ठंडा पानी निकलता है. बोकारो सिटी से 27 किलोमीटर दूर इस अनोखे कुंड में नहाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. इस कुंड पर कई वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया कि आखिर यहां पानी आता कहां से है, लेकिन आज तक इसके रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया.

लोगों का मानना है कि पानी में जो कोई भी मन्नत मांगता है, उसकी सारी मन्नत पूरी हो जाती हैं. इसमें एक बार नहा लेने से कभी भी कोई भी चर्म रोग नहीं होता है. इस कुंड को दलाही कुंड के नाम से जाना जाता है. इस कुंड से निकलने वाला पानी जमुई नामक नाले से होता हुआ गरगा नदी में जाता है. ये कुंड कांक्रीट की दीवारों से घिरा हुआ है. इस जलाशय का पानी एकदम साफ है और ये औषधीय गुण से भरा हुआ है. कुंड के निकट दलाही गोसाई का देव स्थान है. यहां हर रविवार को श्रद्धालु पूजा-पाठ के लिए आते हैं.

बता दें कि त्रेता युग में भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान बोकारो जिले जरीडीह प्रखंड मे धरोहर आज भी स्थापित है. जरीडीह प्रखंड के जगासुर स्थित दलाही बुलबुला कुंड जुड़ी हुई है. ग्रामीण बुद्धिजीवी के अनुसार पूरा इलाका घना जंगल का क्षेत्र था, जब भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास के लिए निकल पड़े. इसी बीच जब इस घने जंगल में श्री राम परिवार के साथ पहुंचे, तब माता सीता को प्यास लगी. आसपास छोटे-छोटे पहाड़ियों से घिरे होने के कारण दूर-दूर तक पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी.

माता सीता की प्यास को बुझाने के लिए श्री राम ने धरती में बाण चलाये और पानी निकला, उसी पानी से सीता ने प्यास बुझाई. त्रेता युग से आज भी उस स्थान में धरती के नीचे से पानी निकलता है. वह स्थान दलाही बुलबुला कुंड के नाम से क्षेत्र में प्रसिद्ध है. मकर संक्रांति के अवसर पर जरीडीह प्रखंड के बुलबुला कुंड में विशाल मेला लगता है. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि स्थल को सरकार पर्यटक अस्थल घोषित करें ताकि इस बुलबुला कुंड का जो मान्यता है और इस जल से नहाने से शरीर के शारीरिक और चर्म रोग समाप्त होता है. इससे झारखंड को नई पहचान मिलेगी, साथ ही इस ग्रामीण इलाके में रोजगार के नए अवसर भी मिल पाएंगे. 

HIGHLIGHTS

. झारखंड की भूमि अपने आप में प्रकृति का अनुपम उपहार है

. एक बार नहा लेने से कभी भी कोई भी चर्म रोग नहीं होता

Source : News State Bihar Jharkhand

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