मंडल डैम की शुरूआत 1970 में की गई थी. ये परियोजना लातेहार जिले के मंडल गांव में स्थित है. मंडल डैम से बिजली उत्पादन होना था. इसके लिए 90 प्रतिशत कार्य लगभग पूर्ण हो गया है. लेकिन अचानक केंद्र सरकार द्वारा 1993 में इस परियोजना पर रोक लगा दी गई. जिसके कारण यह परियोजना 29 वर्षों से अधर में अटकी हुई है. इस परियोजना के चालू हो जाने से बिजली उत्पादन भी होता और झारखंड की बिजली क्षमता बढ़ती. वहीं, झारखंड और बिहार की एक लाख 20 हजार हेक्टेयर भूमि की पटवन भी होती.
4 साल पहले रखी गई थी डैम की आधारशिला
मंडल डैम परियोजना की आधारशिला रखे 4 साल पूरे हो गए है. 5 जनवरी, 2019 को चियांकी हवाई अड्डा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बहुकांक्षी परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास किया था. तब से अब तक डैम के निर्माण कार्य को लेकर परियोजना स्थल पर एक फीसदी भी काम नहीं हो सका है. परियोजना क्षेत्र अब भी खंडहर के रूप में तब्दील है. संबंधित विभाग की मानें तो वन विभाग के द्वारा लगाई गई सभी अड़चनों को दूर कर लिया गया है. इसके बाद भी अब तक निर्माण कार्य का शुरू नहीं हो पाना एक बड़ा सवाल बना हुआ है. पीएम मोदी के द्वारा मंडल डैम परियोजना के शिलान्यास के बाद पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कदावर नेता केएन त्रिपाठी ने मंडल डैम का निरीक्षण किया था. जिसके बाद कार्य शुरू होता नहीं देखकर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताते हुए भाजपा पर कई सवाल खड़ा किये थे. उन्होंने कहा था भाजपा आदिवासियों को बेवकूफ समझती है. उनका मकसद सिर्फ प्रलोभन देकर आदिवासियों का वोट लेना है.
सुनील सिंह की पहल से जगी थी आस
आपको बता दें कि, चतरा सांसद सुनील कुमार सिंह की पहल से करीब 3 दशक से बंद पड़े मंडल डैम परियोजना के शुरू होने की आस जगी थी. उन्होंने लोकसभा में प्रधानमंत्री समेत विभागीय मंत्री को अवगत कराते हुए डैम के निर्माण से होने वाले फायदे पर ध्यान आकर्षित कराया था. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर के दौरे के बाद लगातार मंडल डैम के निर्माण कार्य शुरू होने की आस जगी थी. परियोजना को शुरू कराने को लेकर 1622 करोड़ रुपए के बजट की स्वीकृति भी दी गई. डैम के गेट कैनाल निर्माण समेत अन्य निर्माण कार्य दिल्ली की बेल्कोस कम्पनी को दिया गया है. बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है.
30 करोड़ की लागत से शुरू हुई थी परियोजना
झारखंड के कई जिलों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने और बिजली पैदा करने के उद्देश्य से 1972 में संयुक्त बिहार के समय करीब 30 करोड़ की लागत से यह परियोजना शुरू हुई थी. डैम में गेट निर्माण कार्य को छोड़ 90 फीसदी कार्य 1990 में पूरा हो चुका था. अगस्त 1997 को भीषण बाढ़ आई थी. जिससे आसपास के कई गांव के लोग, घर, माल- मवेशी बाढ़ में बह गए. इस घटना के बाद माओवादियों ने पुल निर्माण में लगे अधीक्षण अभियंता बैजनाथ मिश्र को बंधक बनाकर उनकी हत्या कर दी थी. साथ ही, डैम के कई हिस्सों को ब्लास्ट कर उड़ाने का प्रयास किया था, तब से इसका कार्य ठफ है.
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सुनील सिंह ने कहा जल्द ही शुरू होगा काम
इस मामले में चतरा सांसद सुनील सिंह ने बताया कि मंडल डैम परियोजना को लेकर भारत सरकार बहुत गंभीर है. उन्होंने कहा डैम परियोजना का कार्य मोहमददगंज से प्रारंभ है. तमाम तरह की अड़चने दूर कर ली गई है. उन्होंने कहा सुरक्षा के कारण कार्य नहीं हो पा रहा है और सुरक्षा की जवाबदेही किसकी है ये बात सभी को पता है.
'भाजपा की सरकार घोषणाओं की है सरकार'
वहीं, जेएमएम ने मंडल डैम परियोजना का कार्य शुरू नहीं होने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठाया है. जेएमएम के लातेहार जिला सचिव शमशुल होदा ने कहा पीएम मोदी के द्वारा मंडल डैम परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास किया गया था. लेकिन अबतक काम शुरु नहीं होना केंद्र सरकार की मंशा साफ झलकती है. उन्होंने कहा भाजपा की सरकार घोषणाओं की सरकार है ये सरकार धरातल पर कार्य नहीं करती है. भाजपा को विकास से कोई मतलब नहीं है. भाजपा के लोग सिर्फ लोगों को ठगकर वोट बटोरना जानते है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सालों से मंडल डैम परियोजना को पूरी होने की टक टकी लगाए बैठे लोगों का सपना कबतक पूरा होता है.
रिपोर्ट - गोपी कुमार सिंह
HIGHLIGHTS
- मंडल डैम की शुरूआत की गई थी 1970 में
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था ऑनलाइन शिलान्यास
- 1972 में 30 करोड़ की लागत से शुरू हुई थी परियोजना
- भाजपा की सरकार घोषणाओं की है सरकार : शमशुल होदा
Source : News State Bihar Jharkhand