इस स्कूल में भूतों का है डेरा, 4 साल से स्कूल में लटका ताला
दरअसल जामताड़ा जिले के फतेहपुर प्रखंड में एक आदिवासी बहुल गांव छोटूडीह है. जहां विश्वास और अविश्वास पर अंधविश्वास भारी पड़ गया है. गांव में बना भव्य उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय को भूतों का डेरा घोषित कर दिया गया है.
राज्य में शिक्षा को लेकर काम किया जा रहा है. छात्रों के लिए स्कूल की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन जामताड़ा में एक ऐसा भी स्कूल है. जहां अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरते हैं और अब आलम ये है कि स्कूल में ताला लटका हुआ है. बच्चों की पढाई ग्राम शिक्षा समिति अध्यक्ष के कच्चे घर में होती है. इन सब के पीछे लोगों का अंधविश्वास है. इस गांव में अंधविश्वास ने इस कदर पैर फैला दिया है कि बच्चे स्कूल आने से डर रहे हैं. डीएसई दीपक राम ने स्कूल का दौरा किया लेकिन उन्हें भी स्कूल में ताला लटका नजर आया.
अंधविश्वास शिक्षा पर पड़ा भारी
दरअसल जामताड़ा जिले के फतेहपुर प्रखंड में एक आदिवासी बहुल गांव छोटूडीह है. जहां विश्वास और अविश्वास पर अंधविश्वास भारी पड़ गया है. गांव में बना भव्य उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय को भूतों का डेरा घोषित कर दिया गया है. अभिभावक भय से अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं. इतना ही नहीं शिक्षक भी स्कूल नहीं आ रहें हैं. शिक्षक पठन पठान का काम ग्राम शिक्षा समिति अध्यक्ष के कच्चे घर में कर रहे हैं.
धीरे धीरे लोग स्कूल में पड़ने लग गए बीमार
मामले को लेकर बताया जा रहा है कि उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय छोटूडीह में 2018 से स्थिति बिगड़ने लग गई. घटना उस वक्त की है जब शिक्षक बाबुधन मुर्मू की अकाल मृत्यु हो गई. जिसके बाद उनका बेटा स्कूल में बच्चों को पढ़ाने लग गया, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने ने भी स्कूल आना बंद कर दिया. जिसके कुछ दिनों बाद फिर रसोईया छातामुनी अज्ञात बिमारी का शिकार हो गया.
दो शिक्षक जीवन और मौत के बीच जूझ रहे हैं
बताया जा रहा है कि शिक्षक नुनुधध मुर्मू लाइलाज बिमारी के जबरे में फंस गए हैं. जीवन और मौत से शिक्षक लड़ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ 6 महिने से शिक्षक सुरेन्द्र टुडू भी बिमार पड़े हैं. जो जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं. जिसके बाद ग्रामीणों के मन में ये भय पैदा हो गया कि इस स्कूल में भूतों का डेरा है. जिसके बाद ग्रामीणों के सुझाव पर शिक्षा समिति अध्यक्ष के यहां पढ़ाई चल रही है.
इस मामले को लेकर डीएसई दीपक राम ने भी स्कूल का दौरा किया, लेकिन जब वो वहां पहुंचे तो उन्हें विद्यालय बंद मिला स्कूल में ताला लटका हुआ था. उनके प्रयास से गांव के लोग, शिक्षक और छात्र स्कूल परिसर में पहुंचे. जिन्हें अंधविश्वास से बाहर निकलने के लिए समझाया गया, लेकिन बावजूद इसके लोग अनहोनी की आशंक से अब भी सहमे हुए हैं.