Chaiti Chhath 2024: लोकआस्था का महापर्व चैती छठ का रविवार को तीसरा दिन है. छठ को लेकर श्रद्धालुओं में अलग ही उत्साह देखा जाता है. छठ का पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. एक चैती छठ और एक कार्तिक माह में. चैत्र माह में आने वाले छठ को चैती छठ कहते हैं. इस दौरान लोग पवित्र नदी में जाकर स्नान करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं. यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है. नहाय खाय से इस व्रत की शुरुआत होती है. नहाय खाय के बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. खरना का प्रसाद खाने के बाद व्रतियां 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. रविवार को शाम में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसे लेकर सभी छठ घाटों को सजा दिया गया है. उत्तर पूर्वी राज्यों में इसकी खास तैयारी देखी जा रही है.
छठ को देखते हुए फल-फूल और सजावट की सामाग्री से बाजार सज चुके हैं. शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी बाजारों में अलग रौनक देखी जा रही है. लोग फल-फूल के साथ ही सूप-दउरा भी खरीद रहे हैं.
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने का समय
14 अप्रैल को छठव्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी. यह पहला अर्घ्य दिया जाएगा. अर्घ्य देने का सही समय 5 बजर 20 मिनट से लेकर 5 बजकर 55 मिनट तक का है. बता दें कि छठ एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते सू्र्य को अर्घ्य दिया जाता है.
नवरात्रि के छठे दिन से चैत्री छठ की शुरुआत
चैत्री छठ की खासियत यह है कि यह नवरात्रि के छठे दिन मनाया जाता है और इस दिन मां कात्यानी की पूजा की जाती है. नहाया खाय के दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. वहीं, खरना के दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. जिसकी वजह से चैत्र नवरात्रि का व्रत रखने वाली व्रताओं को छठ मैया के साथ ही मां दुर्गा का भी आशीर्वाद मिलता है.
HIGHLIGHTS
- चैती छठ का तीसरा दिन
- डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य
- जानिए अर्घ्य देने का सही समय
Source : News State Bihar Jharkhand