झारखंड के खूंटी जिले के अड़की प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र बालालोंग तथा सरगेया पंचायत के करीबन बीस से अधिक गांव हैं. जिसमें लगभग महिला पुरुष पंद्रह हजार की जनसंख्या में है. प्रति दिन लोगों को यहां मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. अड़की प्रखंड के अलग थलग पड़े दो पंचायत जिसमें बालालोंग तथा सरगेया आता है. एक समय घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने तथा कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन का आवासीय क्षेत्र होने के कारण विकास के क्षेत्र में एकदम पिछड़ा हुआ था, लेकिन नक्सलवाद खत्म होने के सालों बाद भी कुछ भी नहीं बदला है.
आवागमन का सिर्फ एक ही रास्ता
अभी भी प्रखंड के दोनो पंचायत में लगभग पंद्रह हजार के करीब जनसंख्या निवास करती है और इनके आवागमन का रास्ता सिर्फ एक है और यह रास्ता पिछले कई सालों से बहुत ही खराब स्थिति में है. रोड में बड़े बड़े गड्ढे बन गए हैं. जिससे आए दिन दुर्घटना हो जाती है छोटे चार पहिया वाहन तो चल ही नहीं पाते हैं. जानकारी के अनुसार यह रास्ता बड़ीगड़ा से एनएच 33 पहुंचने का एक मात्र रोड है. जो रोड बनने के कुछ ही महीनों बाद ही भारी वाहन चलने से सड़क खराब हो गई.
विधायक बस देते हैं आश्वासन
बताया जाता है कि कांची नदी से अवैध बालू की तस्करी का एक शॉर्टकट रस्ता होने के कारण बालू माफिया के भारी भरकम हाइवा चलने से रास्ता इतना खराब हो गया है कि आम जनता को प्रति दिन के कार्यों में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. गांव में अगर कोई बीमार हो जाए तो एम्बुलेंस को आने जाने में घंटो लग जाते हैं. इमरजेंसी के लिए कोई ऐसा रास्ता नहीं है. जिसमे लोग जल्दी में एनएच33 निकल पाए. वहीं, बच्चों के स्कूल पहुंचने में भी काफी समय लग जाता है. लोगों का कहना है कि नेता और विधायक बस चुनाव के समय आते हैं और सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं.
HIGHLIGHTS
- लोगों को मुश्किलों का करना पड़ता है सामना
- आवागमन का सिर्फ एक ही रास्ता
- विधायक बस देते हैं आश्वासन
Source : News State Bihar Jharkhand