भूत बंगले में तब्दील हुआ ये अस्पताल, महंगे हॉस्पिटलों में जाने को मजबूर ग्रामीण

सरकार की अनदेखी और पदाधिकारियों की मिलीभगत से तैयार भवन लोगों के काम तो नहीं आया लेकिन दारू बाजो के अड्डे के रूप में तब्दील हो गया वही पुराने भवन में आज भी काम होता है. जहां इस गांव में रहने वाले 600 से 700 लोग सीधे तौर पर मजदूरी पर निर्भर करते हैं.

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Jatin Madan
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अस्पताल भूत बंगले से कम नहीं( Photo Credit : NewsState BiharJharkhand)

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सरायकेला जिले के सबसे ज्यादा पंचायतों वाले प्रखंड गम्हरिया के अंतर्गत आने वाले बुरुडीह पंचायत के बड़ा मारी गांव में मौजूद उप स्वास्थ्य केंद्र सरकार द्वारा बिहार के जमाने में सन 60 के दशक से चला रहा है मौजूद गांव वालों में अब सरकार के प्रति विश्वास खत्म होता देखा जा रहा है. जहां ग्रामीणों ने बताया कि पुराने उप स्वास्थ्य केंद्र में पहले कई डॉक्टर आया करते थे और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा भी होती थी मगर धीरे-धीरे समय बदला और सन् 2000 के बाद पूरे प्रदेश की कमान झारखंड के नाम से सरकार के पास आ गई. लोगों को पता चला कि ठीक बगल में एक नए उप स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था की जा रही है जहां प्राथमिक से लेकर प्रसव की भी व्यवस्था वाली एक नए भवन का निर्माण स्वास्थ्य विभाग करवाएगा जिसका काम शुरू हुआ काम संपन्न भी हो गया लेकिन अब उस भवन का मंजर अगर देखें तो पहली नजर में किसी भूत बंगले से कम नहीं है.

सरकार की अनदेखी और पदाधिकारियों की मिलीभगत से तैयार भवन लोगों के काम तो नहीं आया लेकिन दारू बाजो के अड्डे के रूप में तब्दील हो गया वही पुराने भवन में आज भी काम होता है. जहां इस गांव में रहने वाले 600 से 700 लोग सीधे तौर पर मजदूरी पर निर्भर करते हैं. वैसे लोगों को मजबूरन कोसों दूर गम्हरिया किस वास्ते या तो फिर निकट के दूसरे जिले जमशेदपुर के महंगे हॉस्पिटलों का रुख अख्तियार करना पड़ता है. ग्रामीणों में मौजूद एक वृद्ध महिला ने बताया कि जिस दिन हम बीमार पड़ते हैं ठीक उसी दिन अस्पताल कोई नहीं आता है. इतनी दूर जाकर हमारे लिए इलाज करवा पाना काफी मुश्किल की बात है यह हमारे लिए कतई संभव नहीं है.

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ताज्जुब की बात तो यह है कि कुछ दिनों पहले यहां पंचायत चुनाव भी हुआ था और सरकार आपके द्वार कार्यक्रम की शुरुआत गम्हरिया प्रखंड में इसी पंचायत से भी की गई थी लेकिन मंत्री और बड़े-बड़े जिला के सबसे उच्च पदाधिकारियों के आने के बाद भी यह गांव अपनी दशा खुद बताता है. जब क्षेत्र में डेंगू का प्रकोप चरम पर है ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी शायद झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री नहीं लेना चाहते हैं. स्वास्थ्य केंद्र के सामने मिट्टी में खेलते छोटे-छोटे बच्चे बताते हैं कि स्वास्थ्य केंद्र से टोकने वाला उन्हें कोई भी नहीं है यह सच्चाई सिर्फ सरायकेला जिले की नहीं बल्कि हर जिले की है. गांव के वर्तमान प्रधान एवं पूर्व मुखिया ने बताया कि उन्होंने इस पूरे मामले के बारे में उपायुक्त को भी बताया था लेकिन विभाग और संवेदक की मिलीभगत लोगों ने स्वास्थ्य को अपनी कमाई का जरिया बना लिया है.

 रिपोर्ट - बीरेंद्र मंडल 

HIGHLIGHTS

. 60 के दशक से चला रहा है अस्पताल
. अस्पताल भूत बंगले से कम नहीं 
. महंगे हॉस्पिटलों का रुख करने को ग्रामीण मजबूर 

Source : News State Bihar Jharkhand

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