सरायकेला में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान का निर्माण किया गया था. भवन निर्माण की शुरूआत झारखंड की स्थापना से पहले हुई. लेकिन आज तक निर्माण पूरा नहीं हुआ और अब प्रशिक्षण केंद्र की हालत जर्जर हो चुकी है. कैसे शासन-प्रशासन की अनदेखी ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के सपने पर पानी फेर दिया है. टूटी दीवारें, खंडहर भवन और आस-पास जंगल ही जंगल, देखने में ये नजारा किसी हॉरर फिल्म का लगता है, लेकिन असल में ये सरायकेला का प्रशिक्षण संस्थान महाविद्यालय है.कोल्हान प्रमंडल में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान महाविद्यालय अपने हालात पर आंसू बह रहा है. करोड़ों की लागत से इस भवन को बनाया गया था इस उम्मीद में कि यहां ट्रेनिंग लेकर महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी. महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने का तो पता नहीं, लेकिन भवन की हालत को देख लगता है कि इसे ही सहारे की जरूरत है. सालों बीत जाने के बाद भी ये महाविद्यालय जर्जर हालत में है. अब ना तो यहां को ट्रेनिंग दी जाती है और ना ही इसके ठीक करने के लिए कोई पहल की जाती है.
महिला जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण महाविद्यालय भवन निर्माण के कुछ दिनों बाद तक तो यहां सब कुछ ठीक रहा. प्रशिक्षण महाविद्यालय पॉलिटेक्निक कॉलेज के अधीन था. उद्घाटन के बाद कई महिलाओं ने यहां एडमिशन भी कराया और ट्रेनिंग भी ली, लेकिन ना तो महिलाओं को प्रशिक्षण के बाद प्रमाण पत्र मिला और ना रोजगार. धीरे-धीरे कॉलेज की हालत भी बदतर होती चली गई. प्रशिक्षण महाविद्यालय के परिसर में फिलहाल कुछ कुछ ट्रेनिंग क्लासेस लगती है, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि महिलाओं के कॉलेज में ढंग का शौचालय भी नहीं है. सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं है.
वहीं, मामले को लेकर जब न्यूज़ स्टेट की टीम ने जिले के उपायुक्त से बात की तो उन्होंने मामले को गंभीर बताते हुए जल्द ही महिलाओं के लिए नए भवन निर्माण कराने का आश्वासन दिया. करोड़ों की राशि खर्च होने के बाद भी सरायकेला की महिलाओं को लाभ नहीं मिल पा रहा है. गौरतलब है कि भवन निर्माण की शुरूआत झारखंड की स्थापना से भी पहले हुई थी, लेकिन आज तक ये पूरा नहीं हो सका. आलम ये है कि अब ये भवन खंडहर में तब्दील हो गया है. ऐसे में इंतजार है कि प्रशासन अपने आश्वासन पर सुनवाई करे ताकि महिलाओं को दोबारा प्रशिक्षण केंद्र में ट्रेनिंग का मौका मिल सके.