गुमला जिला के सिसई प्रखंड के दसई टोली गांव में बिगत कई महीनों से अंधविश्वास को लेकर कई तरह के विवाद की बात सामने आई. जिसको लेकर जिला से लेकर राज्य सरकार तक कि टीम ने गांव का दौरा किया. इस सारी घटनाक्रम में गांव की बहुत अधिक बदनामी हो रही है, जिसको देखते हुए ग्रामीणों ने ना केवल बैठक की है बल्कि इस तरह की घटनाओ का पूरा विरोध भी दर्ज किया है. सदियां बीत गई, लेकिन झारखंड में डायन बिसाही जैसी कुरीति खत्म नहीं हुई. आए दिन झारखंड के किसी ना किसी जिले से डायन बिसाही की खबरें आती रहती है, लेकिन गुमला के सिसई प्रखंड के दसई टोली गांव के लोगों ने अब इस कुरीति के खिलाफ हल्ला बोल दिया है.
डायनबिसाही से हो रही थी बदनामी
ग्रामीणों ने अब तय कर लिया है कि डायन बिसाही के चलते गांव की बदनामी नहीं होने देंगे. दरअसल, पिछले कई महीने से गांव में अंधविश्वास को लेकर कई तरह के विवाद सामने आए हैं. लिहाजा राज्य सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक की टीम ने गांव का दौरा किया. जिसके बाद ग्रामीणों को महसूस हुआ कि गांव की बहुत अधिक बदनामी हो रही है. इसे लेकर ग्रामीणों ने ना सिर्फ बैठक की बल्कि इस तरह की घटनाओं का पूरा विरोध भी किया.
कुरीतियों पर ग्रामीणों का कड़ा प्रहार
ग्रामीणों का आरोप है कि डायन बिसाही के नाम पर गांव को बदनाम करने की कोशिश हो रही है. गांव में तीन महिलाओं की मौत हुई थी, लेकिन उनकी मौत बिमारी से हुई ना कि डायन बिसाही में मारपीट से. ग्रामीणों के अपने दावे हैं तो वहीं प्रशासन ने डायन बिसाही को सामाजिक कुरीति बताकर ग्रामीणों को जागरूक करने की बात कही. अधिकारी और ग्रामीणों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन ये झारखंड का कड़वा सच है कि सूबे में आज भी अंधविश्वास के चलते हत्या जैसी वारदात होती रहती हैं. जरूरत है लोगों को और भी जागरूक करने की. ताकि डायन बिसाही के डंक को समाज से दूर किया जा सके और डायन बिसाही का कलंक मिट सके.
HIGHLIGHTS
- डायनबिसाही से हो रही थी बदनामी
- ग्रामीणों ने बैठक कर किया विरोध
- कुरीतियों पर ग्रामीणों का कड़ा प्रहार
Source : News State Bihar Jharkhand