मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दिल्ली के बुराड़ी जैसा मामला सामने आया है. मंडीदीप क्षेत्र के हिमांशु सिटी में एक घर के अंदर 4 लाशें बरामद हुई हैं. बताया जा रहा है कि परिवार के मुखिया सन्नू यहां पर किराए से रहते थे और उनके साथ उनकी पत्नी एक छोटी बेटी ,उनकी सास और साला भी घर में मौजूद थे. मंगलवार देर रात जब पड़ोसियों ने सन्नू को आवाज दी और किसी तरह का रिस्पांस नहीं आया तो पुलिस को बुला कर गेट तुड़वाया गया. और जब गेट तोड़ा गया तो अंदर का नजारा ही कुछ और था.
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सन्नू की पत्नी पूर्णिमा उनकी सास दीपमाला, छोटी बेटी और सन्नू के 11 साल के साले की मौत हो चुकी थी और उनके मुंह से झाग भी निकल रहा था. हालांकि सन्नू की सांसे चल रही थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. सन्नू के पड़ोसी नितिन चौहान ने बताया कि परिवार के अंदर विवाद की कोई स्थिति नहीं थी, और ना ही कभी किसी को ऐसा अंदेशा था कि यह स्थिति निर्मित होगी. नितिन का कहना है कि परिवार के सदस्यों के बीच भी कभी लड़ाई झगड़े जैसी बातें सामने नही आई. और ना ही वह आर्थिक स्थिति से जूझ रहा था.
रायसेन पुलिस का कहना है कि मामला अभी काफी उलझा हुआ है, क्योंकि परिवार के चार लोगों की मौत हो गई है और एक व्यक्ति का इलाज चल रहा है. उनका कहना है कि परिवार का मुखिया सन्नू अभी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है और जब तक डॉक्टर अपनी रिपोर्ट नहीं देंगे तब तक इस मामले में कुछ भी कहना गलत होगा. हालांकि लाश के मुंह से निकले झाग के बाद इसे जहर से जोड़कर भी देखा जा रहा है। पुलिस का कहना है कि इस मामले पर जल्द ही स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर इस घटना का कारण क्या है।
क्या था बुराड़ी कांड
बता दें पिछले साल जुलाई में बुराड़ी के संतनगर के एक घर में पड़ोसी ने एक साथ कई शवों को लटका देखा गया था. संदिग्ध परिस्थितियों में एक ही परिवार के 11 सदस्यों को मरा पाया.इनमें से कुछ की आंखों पर पट्टियां बंधी थीं और वे फंदे पर लटके हुए थे. घटना की जानकारी पड़ोसियों ने तुरंत पुलिस को दी. पुलिस जब घर के अंदर गई तो दो मंजिला घर के आंगन में चार पुरुषों और सात महिलाओं के शवों को देखा. मृतकों में तीन किशोर भी शामिल थे.
उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी (burari case) में जुलाई 2018 में एक खौफनाक घटना हुई थी. इस घटना में एक ही परिवार के 11 सदस्य अपने ही घर में मृत पाए गए थे. इस मामले की मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि उन लोगों ने खुदकुशी नहीं की थी, बल्कि वे सभी एक अनुष्ठान के दौरान दुर्घटनावश मारे गए.
आत्महत्या नहीं हादसा था 11 लोगों की मौत
दिल्ली पुलिस ने जुलाई में सीबीआई को साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी करने को कहा था. रिपोर्ट के अनुसार, 'मृतकों की मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी के अध्ययन के आधार पर घटना आत्महत्या की नहीं थी, बल्कि दुर्घटना थी जो एक अनुष्ठान करते समय हुई. किसी भी सदस्य की अपनी जान लेने का इरादा नहीं था.'
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CFSL ने इन लोगों से की पूछताछ
मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी के दौरान सीबीआई की केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) ने घर में मिले रजिस्टर्स में लिखी बातों का और पुलिस द्वारा दर्ज किए गए चूंडावत परिवार के सदस्यों और मित्रों के बयानों का विश्लेषण किया. सीएफएसएल (CFSL) ने परिवार के सबसे बड़े सदस्य दिनेश सिंह चूंडावत और उनकी बहन सुजाता नागपाल तथा अन्य परिजनों से भी पूछताछ की थी.
क्या होती है मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी में किसी व्यक्ति के मेडिकल रिकार्ड का विश्लेषण किया जाता है. साथ ही उनके मित्रों और परिवार के सदस्यों से पूछताछ करके और मृत्यु से पहले उसकी मानसिक दशा का अध्ययन किया जाता है. जिससे उस शख्स की मानसिक स्थिति पता लगाने की कोशिश की जाती है.
पिता के आदेश पर ललित कर रहा था पूजा अनुष्ठान
सूत्रों के अनुसार, पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि परिवार का सदस्य ललित चूंडावत अपने दिवंगत पिता की तरफ से निर्देश मिलने का दावा करता था और उसी हिसाब से परिवार के अन्य सदस्यों से कुछ गतिविधियां कराता था. उसने ही परिवार को ऐसा अनुष्ठान कराया जिसमें उन्होंने अपने हाथ-पैर बांधे तथा चेहरे को भी कपड़े से ढंक लिया. चूंडावत परिवार के ये 11 सदस्य बुराड़ी स्थित घर में मृत मिले थे.
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Source : News Nation Bureau