भोपालः मध्य प्रदेश के चर्चित ई-टेंडर (E-tender) घोटाले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. 42 और ई-टेंडरों में छेड़छाड़ के सबूत मिले हैं. अब तक 50 से अधिक टेंडर में घोटाले के मामले सामने आ चुके हैं. नए मामले सामने आने के बाद इनमें भी एफआईआर (FIR) दर्ज कराई जा रही है. अभी तक नौ मामले ही सामने आए थे. अब नए मामले सामने आने के बाद जांच का दायरा और बढ़ गया है.
ईओडब्ल्यू कर रही है मामले की जांच
टेंडर घोटाले की जांच केंद्रीय एजेंसी ईओडब्ल्यू (EOW) कर रही है. एजेंसी ने 18 मई 2018 को ई टेंडर में गड़बड़ी की जांच शुरू की थी. टेंडर में गड़बड़ी का मामले सामने से पहले मार्च 2018 तक 42 टेंडरों की जानकारी तकनीकी जांच के लिए इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को भेजी गई थी. ये टेंडर अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान प्रोसेस हुए थे.
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रिपोर्ट में मिली थी गड़बड़ी
इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ने इन मामले की गहनता से जांच की. इन 42 टेंडर की जांच रिपोर्ट ईओडब्ल्यू के पास आ गई है. सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि इन टेंडर के साथ छेड़छाड़ की गई थी. ई-टेंडर में छेड़छाड़ के नए मामले सामने आने के बाद इन मामलों में भी नए सिरे से एफआईआर दर्ज की जा रही है.
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शिवराज सरकार में हुए थे घोटाले
जानकारी के मुताबिक यह सभी घोटाले शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुए थे. इस मामले में दर्ज पहली एफआईआर में नौ टेंडरों में छेड़छाड़ के मामलों में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी. 10 अप्रैल 2019 को एफआईआर दर्ज होने के बाद अब तक इस मामले में नौ आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
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हर विभाग में हुआ घोटाले का खेल
मध्य प्रदेश सरकार के लगभग हर विभाग में घोटाले का खेल सामने आया है. अभी तक की जांच में जिन विभागों के ई-टेंडर्स में छेड़छाड़ की गयी उनमें जल संसाधन, सड़क विकास निगम, नर्मदा घाटी विकास, नगरीय प्रशासन, नगर निगम स्मार्ट सिटी, मेट्रो रेल, जल निगम, एनेक्सी भवन सहित निर्माण कार्य करने वाले विभाग शामिल हैं.
Highlights
- शिवराज सरकार में हुए थे सभी घोटाले
- 42 नए मामलों में ईओडब्ल्यू दर्ज करेगी एफआईआर
- पहले से दर्ज नौ मामलों में हो चुकी है गिरफ्तारी