मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी भले ही उम्र के लिहाज से 70 पार कर चुके बुजुर्ग नेता कमलनाथ ने संभाल ली है, लेकिन उनके तेवर युवा नेता की तरह हैं. सत्ता की बागडोर संभालते ही उन्होंने संदेश दिया है कि वह राज्य में ठीक उसी तरह धुंआधार 'बल्लेबाजी' करने जा रहे हैं, जैसे कोई युवा खिलाड़ी अपने करियर की शुरुआत में करता है. राज्य में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है. कांग्रेस ने सत्ता की बागडोर युवा नेता व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बजाय बुजुर्ग 72 वर्षीय कमलनाथ को सौंपी है. कमलनाथ के कुर्सी संभालने से पहले कई तरह के सवाल थे, जो राजनीति में लाजिमी भी हैं. राज्य लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है. ऐसे में उन वादों पर अमल कैसे संभव होगा, जिन्हें कांग्रेस ने वचन-पत्र में किए हैं.
यह भी पढ़ेंः Mission 2019: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की हार से बीजेपी को खतरा नहीं
कमलनाथ पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनने के बाद से एक ही बात कहते आए हैं कि कांग्रेस में गुटबाजी नहीं रहेगी और वह उसे खत्म करने में काफी हद तक सफल भी हुए हैं. इसके अलावा उन्होंने सरकारी मशीनरी पर हमला करते हुए कहा था कि 'उनकी चक्की देर से जरूर चलती है, मगर पीसती बारीक है.'
यह भी पढ़ेंः कमलनाथ के 'विवादित' बयान पर बिहार-यूपी में घमासान, अखिलेश ने बताया गलत, जेडीयू ने की निंदा
कमलनाथ ने सत्ता की कमान संभालते हुए एक तरफ किसानों की कर्जमाफी का फैसला कर डाला तो दूसरी ओर कन्या विवाह की अनुदान राशि बढ़ाकर 51 हजार रुपये कर दी. उन्होंने प्रदेश में सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने वाले उद्योगों में 70 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित करने का भी निर्णय लिया. इतना ही नहीं अफसरों को भी चेतावनी भरे लहजे में कहा दिया कि गांव, विकासखंड व जिलों की समस्याएं भोपाल के मंत्रालय या बल्लभ भवन तक नहीं आनी चाहिए. ऐसा हुआ तो इसके लिए जिम्मेदार अफसर को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
यह भी पढ़ेंः RSS के लिए बुरी खबर, शाखाओं में कर्मचारियों के जाने पर प्रतिबंध लगाएगी मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार
कमलनाथ ने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा यह मानती है कि उसने कांग्रेस को खाली खजाना सौंपा है, मगर कांग्रेस सरकार अपने वचन पर खरा उतरेगी. राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है, "कमलनाथ की राजनीति का अंदाज अन्य नेताओं से अलग है. कमलनाथ ने दूसरे प्रदेश से आकर छिंदवाड़ा को अपना गढ़ बना लिया है, अब छिंदवाड़ा के परिवारों के नेता बन गए हैं. कमलनाथ की कार्यशैली जल्द फैसले करने की रही है, राज्य की कमान संभालते ही वही संदेश देने की उन्होंने कोशिश की है. उम्र भले ही 70 पार कर गई है, मगर उन्होंने फैसले युवा नेताओं की तर्ज पर लिए हैं."
VIDEO : Bada Sawaal: क्या 2019 का आधार तुष्टिकरण की राजनीति होगी?
लंबे अरसे तक महाकौशल में पत्रकारिता करने वाले थामस का मानना है कि "कमलनाथ चुनाव लड़ने का मामला हो या विकास की बात, हर मसले पर अपने ही तरह से सोचते हैं और किसी को भी नाराज करने में भरोसा नहीं करते. यही उनकी सफलता का राज है. कमलनाथ के स्तर की राजनीतिक और प्रशासनिक समझ का नेता फिलहाल राज्य में दूसरा आसानी से खोजा नहीं जा सकता. राज्य में चुनौतियां बहुत हैं, अब कमलनाथ की असली परीक्षा का समय आ गया है."
यह भी पढ़ेंः Google में इन 10 टॉपिक को सबसे ज्यादा लोगों ने किया सर्च, क्या आपने भी Search किया था इन्हें
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री एवं किसान कल्याण आयोग के पूर्व अध्यक्ष बंशीलाल गुर्जर ने कांग्रेस सरकार पर किसानों से वादा खिलाफी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री किसानों की कर्जमाफी जिस तरीके से करना चाहते हैं, वह प्रदेश के किसानों के साथ वादाखिलाफी है. कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में प्रदेश के सभी किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने का वादा किया था, अब सरकार बन जाने पर मुख्यमंत्री सिर्फ 31 मार्च, 2018 तक के कर्जदार किसानों के कर्ज माफ करने की बात कर रहे हैं."
वही दूसरी ओर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, "कमलनाथ का पहला दिन, पहला निर्णय 'किसानों का कर्जा माफ '. राहुल गांधी ने 10 दिन दिए थे, कमलनाथ ने यह निर्णय लेने में 10 घंटे नहीं लगाए. इसे कहते हैं 'बुलडोजर' जय-जय कमलनाथ."
यह भी पढ़ेंः MP: 41 लाख किसानों पर 56 हजार करोड़ रुपये का कर्ज, जानें कर्जमाफी से आप पर क्या होगा असर
कमलनाथ ने राज्य की सियासत में बदलाव के संकेत दे दिए हैं. उन्होंने किसानों की कर्जमाफी का वह बड़ा फैसला किया है, जिसके जरिए भाजपा कमलनाथ को घेरने की तैयारी कर रही थी. आने वाले दिनों में देखना होगा कि भाजपा कमलनाथ को किन मुद्दों को लेकर घेरती है.
Source : INAS