मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार से सातवां सवाल दागा है. शुक्रवार को पूछे गए सवालों में उन्होंने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करते हुए कैग की रिपोर्ट का हवाला दिया है. कविता से तंज कसते हुए उन्होंने शिवराज सिंह चौहान सरकार से सवालों की झड़ी लगा दी है और ढेर सारे तथ्य प्रस्तुत किए हैं.
'मोदी सरकार से जानिये मामा सरकार की स्कूली शिक्षा का रोंगटे खड़े कर देने वाला सच।'
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) October 26, 2018
बच्चों के भविष्य को पहुँचाई चोट, मामा के मुखौटे में निकले कई खोट।
मामा जी, बच्चों से क्यों किया विश्वासघात ?
स्कूली शिक्षा को क्यों पहुँचाया गंभीर आघात ?
1/10 pic.twitter.com/EyPNJ1PbNP
(1) मध्यप्रदेश के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक, कुल 150762 स्कूलों में से 1 लाख़ 6 हज़ार से अधिक अर्थात 71% स्कूलों मे बिजली पहुंची ही नही है.
(2) मध्यप्रदेश के नौनिहालों की आधुनिक शिक्षा का हाल यह है कि मात्र 15.7% स्कूलों में कंप्यूटर एजुकेशन की व्यवस्था है. अर्थात राज्य के 1.22 लाख़ स्कूलों में आज भी कम्प्यूटर शिक्षा नहीं है.
(3) मध्यप्रदेश के सिर्फ़ 15.6% माध्यमिक स्कूलों में और मात्र 19% उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में लाइब्रेरी है. सरकारी स्कूलों में तो यह नगण्य है.
(4) केंद्र की डाइस-2017 रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में 19 हज़ार स्कूल एक-एक शिक्षक के भरोसे हैं.
(5) 14.6 हज़ार स्कूलों में बारिश के दिनों में पहुंचने का रास्ता ही नहीं रहता, यानी इन स्कूलों में बच्चे पढ़ने ही नहीं जा पाते.
(6) राज्य में 46.6 हजार स्कूलों में अब भी नहीं बन पाया बच्चों के लिए खेल मैदान. प्रदेश के 93 हजार से अधिक स्कूलों में आज भी दिव्यांग बच्चों के लिये नहीं बन पाया है रैंप.
(7) आज भी मप्र के 4451 स्कूलों में सिर्फ़ एक ही कमरा है. यानी चार से आठ वर्ग के बच्चे एक ही रूम में पढ़ते हैं.
(8) कक्षा एक से पांच तक की स्कूली शिक्षा के दौरान ही एक साल मे 3.57 लाख बच्चों को शिक्षा छोड़ देनी पड़ती है. कक्षा 6 से 8 तक की स्कूली शिक्षा के दौरान ही एक साल में 3.42 लाख बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं.
(9) कुल मिलाकर कक्षा 1 से 8 तक 1 साल मे 7.17 लाख बच्चों को पढ़ाई छोड़नी पड़ती है.
(10) कंट्रोलर ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट बताती है कि 2010 से 2016 तक माध्यमिक शिक्षा अर्थात आठवीं तक के 42 लाख़ 46 हज़ार बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया.
(11) कैग ने अपनी 2017 की रिपोर्ट में बताया कि 2010 से 2016 तक 42 लाख़ 88 हज़ार किताबें बांटी ही नहीं गई.
(12) कैग की 2017 की रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में 63 हज़ार 851 शिक्षकों की कमी है.
(13) सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकार ने स्कूल शिक्षा के लिए आवंटित कुल बजट में से 2011-2016 के बीच 7284.61 करोड़ रुपए (आवंटन का 31 प्रतिशत) जारी ही नहीं किये. सरकार बच्चों के शिक्षा के अधिकार के हनन में सबसे बड़ी अपराधी रही.
40 दिन 40 सवाल
"मोदी सरकार के मुँह से जानिए,
मामा सरकार की बदहाली का हाल."