राजस्थान के कोटा के जिला अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला चर्चाओं में है, इस बीच मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में बीते दो माह में 90 नवजात शिशुओं की मौत का मामला सामने आया है. यह मौतें एसएनसीयू (स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट) में भर्ती हुए नवजात शिशुओं की है. यहां मौतों का कारण क्या है, इसकी जांच कराई जा रही है . जानकारी के अनुसार, बीमार नवजात शिशुओं को एसएनसीयू में भर्ती कराया जाता है. रतलाम के एसएनसीयू में भी बीमार नवजात शिशुओं को भर्ती कराया गया. इनमें से बड़ी संख्या में बच्चों में सांस की बीमारी और कम वजन की समस्या थी.
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जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रभाकर ननावरे ने गुरुवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, 'बीते दो माह के आंकड़े जो उन्होंने जुटाए है वह इस बात की पुष्टि करते है कि इस अवधि में एसएनसीयू में 90 नवजात शिशुओं की मौत हुई है. यह मौतें कैसे हुई है, वजह क्या थी. इसकी जांच कराई जा रही है. जांच दल कारणों का पता कर रहा है.'
सूत्रों के अनुसार, अगर किसी माह में कुल भर्ती नवजातों की 12 से 15 फीसदी तक मौत होती है, तो सरकार की गाइड लाइन के अनुसार यह सामान्य है. उपलब्ध आंकड़े बताते है कि एसएनसीयू में 40 दिन (26 नवंबर से 6 जनवरी के बीच) में 61 नवजात ने दम तोड़ा, जिन बच्चों की मौत हुई उनमें सबसे ज्यादा 21 बच्चों की श्वसन संकट सिंड्रोम (सांस लेने में परेशानी) के कारण मौत हुई है.
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गौरतलब है कि कोटा के अस्पताल में 35 दिनों में करीब 112 बच्चों की मौत हो चुकी है. इन मौतों के पीछे के प्रमुख कारणों में ठंड के मौसम के अलावा चीन के घटिया चिकित्सा उपकरण, भ्रष्टाचार और कमीशन की वजह सामने आई. इससे पहले राज्य और केंद्र सरकार द्वारा गठित समितियों ने अस्पताल में बच्चों की मौत की प्रमुख वजह हाइपोथर्मियाको बताया था.
Source : News Nation Bureau