मध्यप्रदेश में सिंथेटिक दूध और उसके उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. कहीं रिफाइंड तेल और रसायन से घी बन रहा है तो कहीं रसायन से दूध-पनीर का कारोबार जारी है. राज्य के दुग्ध उत्पादों के नमूनों की जांच चार दिन में कराने की तैयारी है और दुग्ध उत्पादों के 100 नमूने जांच के लिए मुंबई की प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं. राज्य में बीते एक सप्ताह में सिंथेटिक दूध और उसके उत्पादों के खिलाफ खास अभियान चलाया जा रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ इस कारोबार से जुड़े लोगों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दे चुके हैं. सरकार सेहत से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने और जिला बदर जैसी कार्रवाई करने का ऐलान कर चुकी है, मगर मिलावटखोरी जारी है.
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राज्य में 15 जिलों में सिंथेटिक दूध और ऐसे दूध से बने उत्पादों का कारोबार जोरों पर है. इसका गढ़ ग्वालियर-चंबल अंचल को माना जाता है. यहां से मावा की आपूर्ति देश के विभिन्न हिस्सों में होती है. इसके अलावा इंदौर, भोपाल, जबलपुर आदि स्थानों पर भी हानिकारक रसायन से दूध और अन्य उत्पाद तैयार किए जाते हैं. यह कारोबार पर्व-त्योहार करीब आने पर ज्यादा बढ़ जाता है. राज्य में स्वास्थ्य विभाग बीते एक सप्ताह से सिंथेटिक दूध और उससे बने उत्पादों के खिलाफ विशेष अभियान चलाए हुए है. अभियान के दौरान जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे चौंकाने वाले हैं. शनिवार को मुरैना में हुई कार्रवाई से इसका खुालासा हुआ है. यहा बंद गोदाम का ताला तुड़वाया गया तो वहां 20 लाख रुपये कीमत के रिफाइंड ऑयल सहित 20 लीटर क्लोरोफॉर्म, 1200 लीटर तरल डिटर्जेट, एथेनल सहित अन्य घातक रसायन मिले. जब्त सामग्री की कीमत लगभग 50 लाख रुपये आंकी गई है.
इसी तरह भोपाल के करीब स्थित मंडीदीप में नकली घी के ढाई सौ से अधिक पीपे जब्त किए गए, जिसकी कीमत 60 लाख रुपये आंकी गई है. इसके अलावा इंदौर, भोपाल और नीमच आदि स्थानों पर भी सिंथेटिक दूध उत्पाद में प्रयुक्त की जाने वाली सामग्री बरामद कर नमूने लिए गए. राज्य के मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती मिलावट को देशद्रोह-राजद्रोह जैसा अपराध मानते हैं. उन्होंने कहा कि मिलावटी और निकली खाद्य पदार्थो का कारोबार करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट ने राज्य खाद्य एवं औषधि प्रयोगशाला में दूध और दुग्ध उत्पाद के नमूनों की जांच चार दिन में करने को कहा है. उन्होंने कहा कि नमूनों की जांच में विलंब होने से मिलावटखोरों के विरुद्ध कार्रवाई में देरी होती है. वर्तमान में प्रयोगशाला द्वारा 14 दिन में जांच रिपोर्ट दी जा रही है.
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मंत्री सिलावट ने शनिवार को ए-ग्रेड के 100 नमूनों को जांच के लिए मुंबई की प्रयोगशाला में भेजने का निर्देश देते हुए कहा था कि प्रयोगशाला में नमूने प्राप्त करने से लेकर जांच रिपोर्ट बनने की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक रवींद्र सिंह ने बताया कि प्रयोगशाला में खाद्य पदार्थो और औषधि के नमूनों की जांच तेजी से की जा रही है. मिलावटखोरों के विरुद्ध जारी अभियान को ध्यान में रखते हुए आने वाले नमूनों की जांच समय पर हो पाए, इसलिए प्रयोगशाला के कर्मचारियों की छुट्टियां भी निरस्त कर दी गई हैं.
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